Posted by: हरदीप कौर संधु | मार्च 30, 2023

2324-वैश्विक हाइकु-संग्रह

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वैश्विक हिन्दी हाइकु विशेषांक-11_opt

Posted by: हरदीप कौर संधु | मार्च 29, 2023

2323

अनीता सैनी ‘दीप्ति’

1

अनीता सनी 'दीप्ति'शीतलहर

फटे पल्लू से मुख

निकाले शिशु।

2

संध्या- लालिमा

ग्वाले की बांबाँरी से

गूँजी गौशाला।

3

कुहासा भोर 

पिता संग खेत में 

खींचती हल।

4

रक्तिम साँझ

पगडंडी निहारे

बुजुर्ग माता।

5

वन में ठूँठ

बरगद के नीचे

लकड़हारा।

6

मेघ गर्जन

वृद्ध लिए हाथ में

फूँस- गट्ठर।

7

निर्जन गली 

जर्ज़र हवेली से 

पायल ध्वनि।

8

अर्द्ध यामिनी

जुगनू की आभा से

चमके धरा । 

9

रुदन स्वर

पति की फोटो पास

बैठी विधवा । 

10

ज्येष्ठ मध्याह्न

खेत मध्य ठूँठ पे

किशोरी शव।

11

कुहासा भोर

चूल्हा लीपे माटी से

रसोई में माँ।

12

शीतल नीर 

वृक्ष की छाँव तले

हिरण झुण्ड । 

13

चौथ का चाँद 

हाथ में पूजा थाल

नवल वधू । 

14

उत्तरायण 

माँझे में उलझें है

पक्षी के पंजे । 

15

रात्रि प्रहर

सूनी राह तकती

द्वार पे वृद्धा । 

16

मेघ गर्जन  

दीपक की लौ बीच

पतंगा शव । 

17

ठण्डी बयार 

अमिया डाल पर

झूलती गोरी । 

18

 संध्या लालिमा 

गाय झुण्ड में गूँजा

घंटी का स्वर । 

19

 संध्या लालिमा 

ग्वाले की गोद में

नन्हा बछड़ा ।

20

 पौष मध्याह्न

मंगौड़ा की सुगंध

पाकशाला से। 

21

सघन वन

लपटों के बीच में

कंगारू दल।

22

मिट्टी की गंध 

हल्की बरसात में 

छलके आँसू।

-0-

Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | मार्च 26, 2023

2322

कपिल कुमार

1.

दीपक की लौ

कीट पतंगों संग

खेलती खो-खो। 

2

तितली खेलें

छुआ-छुई का खेल

फूलों की गैल। 

3

मेंढ़क करे

रात में लम्बी कूद

ज्यों एथलीट।

4

चींटी करती

गेहूँ की जमाखोरी

चढ़ा के त्योरी। 

5

टिड्डी का पेट

करे मलियामेट

हाली के स्वप्न। 

6

खेत तंग, ज्यों

मेघों ने ओलेरूपी

गुलेल मारी। 

7

गेहूँ ज्यों पके

मेघों ने किसानों के

पाँव उखाड़े।

8

लू ने निकाले

तरकश से तीर

हाल-गंभीर।

9

पकीं फसलें

किसानों की परीक्षा

मेह से रक्षा। 

10

गाँव ज्यों बाँधें

आधुनिकता तोड़े

प्रेम के धागे। 

-0-

Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | मार्च 17, 2023

2321

कमला निखुर्पा

1

ऊँचे हैं तरु

उत्तुंग हैं शिखर

मानव बौना ।

2

 कब से खड़े

शीत घाम को सहें

कुछ ना कहें ।

3

बरस बाद

ली है  गहरी साँस

खिला बुराँश

4

कुछ ना कहूँ

अपलक नैनों से

देखती रहूँ

Posted by: हरदीप कौर संधु | मार्च 9, 2023

2320

डॉ. जेन्नी शबनम

Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | मार्च 9, 2023

2319

होली

रंग हज़ार-डॉ. जेन्नी शबनम 
1.

वासन्ती पर्व

बन्धनों से हों मुक्त

देती है सीख। 

2.

मन झूमता

रंग की है बौछार 

मिलते यार। 

3.

हँसी-मज़ाक़ 

ये रंगीन-फुहार

उम्र भुलाए। 

4.

फाग-तरंग

हँसे मन मलंग 

खेलों रे रंग। 

5.

झुमके नाची

अलसाई-सी देह

होली के संग। 

6.

नशीला रंग

मन को दिया रँग

आओ खेलें रंग। 

7.

होली रंगीन

भिगोया जब तन 

मन भी रँगा। 

8.

फ़िज़ा रंगीन 

फागुन की फुहार

मन क्यों सूना?

9.

रंग वही है

होली की खुमारी है,

मन न रँगा। 

-0-

Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | मार्च 6, 2023

2318

कृष्णा वर्मा

1

तल हिय का

मापता तो जानता

प्रेम का मोल।

2

पानी की बूँद

है जीवन बताशा

मेला तमाशा।

3

रिसे बेरोक

दिल की छपरी न

कोई उपाय।

4

रोएँ हैं नैन

प्रश्नों की शय्या पर

नींद बेचैन।

5

चढ़ी बबूल

उम्र की गिलहरी

छिजि जमके।

6

तोल के बोल

भागेगी सरपट

बात हवा– सी।

7

चलने लगे

जो निज मर्ज़ी पर

खलने लगे।

8

‘मैं’- ‘तू’ की माया

जीव मरा जीवित

बची है काया।

9

करने बढ़े

सिद्ध जो अस्तित्व को

युद्ध ही लड़े।

10

जोड़ अध्याय

सदी लाँघ जाने का

हौसला कर।

11

खोया असल

मुखौटों की भीड़ में

बहरूपिये!

12

ठिठकी खड़ी

है होठों पर हँसी

कैसी बेबसी।

13

बहा ले गईं

स्वार्थ की बरसातें

रिश्तों के गाँव।

14

हमारे हिस्से

धूपिया दिनों के हैं

तपते किस्से।

15

जाना यूँ तेरा

हल्दिया उदासी ने

चेहरा घेरा।

16

रूह के वृक्ष

बेलों-सी चढ़ गईं

क्यों तेरी यादें।

17

तलाश में हूँ

क्यों अगर-मगर

औ काश में हूँ।

18

कैसा ज़माना

रोना ज़रूरी और

आँसू  छुपाना।

19

ज़ख़्म ही ज़ख़्म

मरहम न कोई

रोए भरम।

20

काँटे में आटा

देख जो खोले मुँह

जान से जाता।

21

बीती उमर

चलते पंजों पर

मिला ना हल।

22

दिल ही जाने

नंगे बदन सही

कैसे पछाड़ें।

23

दिल है हारा

डूबते सपनों को

दे-दे सहारा।

24

रोपे ना तरु

तड़प रहीं साँसें

हँसता मरु।

-0-

Posted by: हरदीप कौर संधु | फ़रवरी 22, 2023

2317-तुम हो गई

रश्मि विभा त्रिपाठी
7-RASHMI VIBHA TRIPATHI1
हाँ! भर देना
झोली में प्यार, कुछ
अगर देना।
2
गुम हो गई
तुममें ऐसे कि मैं
तुम हो गई।
3
तुम मन में!
जैसे फूल खिले हैं
उपवन में।
4
भू -आकाश में
वैसी प्रीत रखना
भुजापाश में।
5
पुचकारके
माथे पे रच देना
छंद प्यार के।
6
उस छोर से
खींचो, चली आऊँगी
बँधी डोर से।
7
करे पुकार
सरहद के पार
आत्मा का प्यार।
8
गले लगाया
पारस- से तुम हो
जो चाहा, पाया।
9
छाती लगाके
मीत फिर जी उठी
मैं तुम्हें पाके।
10
दूर देश में
तुम जा बसे हो, मैं
पशोपेश में।
11
तुम्हारा प्यार
सबसे बड़ी पूँजी
भरे भण्डार।
12
होके अलग
जी सकी कब, तुम
हो मेरी रग।
13
फड़फड़ाया
साँसों का सुग्गा खूब
तू याद आया।
14
प्राण विकल!
कंठ लगाके तुम
दे देते बल।
15
रहना पास!
तुम सदानीरा हो
मिटेगी प्यास।

16

हाँ! भर देना

झोली में प्यार, कुछ

अगर देना।

17

हैं अकुलाए

ये नैन, चले आओ

बाहें फैलाए।

18

कोई न चला

यहाँ किसी के साथ

साया ही मिला।

19

दर्द की तह

तुम्ही बोलो! लगाऊँ

किस तरह।

Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | फ़रवरी 9, 2023

2316

1-वसंत/ कृष्णा वर्मा

1

किया रुत ने 

चपल झील पानी 

दरकी काई।

2

चटके मन 

जान लेती विरह 

आया वसंत।

3

क़ुदरत के 

क़दमों की आवाज़

उमंग काल। 

4

पौन वासंती 

सिरजे इच्छाओं का 

कुँआरा वृक्ष। 

5

लिखे वसंत 

काल के कपाल पे 

पियरा रंग। 

6

चैती बयार

प्रीत के पंछियों की

ढुलाए तार।  

7

चहके पंछी 

झूमे हरसिंगार

ढुली टहनी।

8

ले अँगड़ाई 

गले लगी लतिका 

तरु सौदाई।  

 9

वन चंपा से  

महक उठे सपने 

सावनी मन। 

10

बाँटे कौमुदी 

सौरभ गंध-पत्र 

सिहरे मन।

11

रंग न कूची 

बदले शिशिरांत

धरा की सूची। 

-0-

2-कपिल कुमार

1

गाँवों के सिर

बिटोड़े खड़े ऐसे

नेपथ्य जैसे। 

2

सूखे कुआँ में

ज्यों ही दादुर कूदा

हड्डियाँ टूटी। 

3

पेड़ों पे केका

बारिश को बुलाते

कुँआँ में भेका। 

4

तम से करे

रातभर फाइट

स्ट्रीट-लाइट।

5

बादल देते

खेतों को कोरे झाँसे

पेड़ हैं, प्यासे। 

-0-

Posted by: हरदीप कौर संधु | फ़रवरी 6, 2023

2315

1-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

1
तुम्हारा प्यार-
इसके आगे बौना
नभ -विस्तार।
2
सिन्धु गहरा
तेरे प्यार के आगे
कब ठहरा!
3
जितनी दूर
उतने ही मन में
हो भरपूर।
4
अंक में तुम
जगभर की पीर
पल में गुम।
5
चूमे नयन
पोर -पोर में खिले
लाखों सुमन।
6
तुम्हारे बैन
दग्ध हृदय को दें
पल में चैन।
7
चूमे नयन
रोम रोम पुलकित
स्वर्गिक सुख। 

8

उजली भोर

बिखर गई रुई

चारों ही और।

-0-

2-प्रीति अग्रवाल

1.
भूली भटकी
पतंग- सी अटकी
यादें उसकी।
2.
हूक जिया की
हिय में ही सुबके
कहूँ किससे।
3.
निगल रहे
विष भरे भुजंग
चन्दनवन।
4

कैसे हों घाव
वक्त की मरहम
बड़ी कमाल!

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