1-सुदर्शन रत्नाकर
1
झील- सी आँखें
देखतीं जब मुझे
डूबना तो है।
2
अक्स चाँद का
लिपटा है झील से
हो गए एक।
3
शांत है सोई
पर्वत की गोद में
आँख -सी झील।
4
एकांतवास
है शांत समाधिस्थ
पर्वतसुता।
5
नौका -विहार
झील के वक्ष पर
ख़ुशी अपार।
6
बर्फ़ है जमी
अहल्या-सी हो गई
सर्दी में झील।
7
यादों की नाव
तैरती है रहती
मन -झील में।
8
झील का जल
थरथराता रहे
चलें शिकारे।
9
नीरव रात
झील में उतरते
नहाने तारे।
10
तैरते हंस
झील -गोद में जब
माँ -सा सँभाले।
11
झील -जल में
खिल रहे कुमुद
स्वर्ग- कानन।
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