Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | मार्च 13, 2024

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1-कमला निखुर्पा

1-कमला

2-KAMALA

2-प्रीति अग्रवाल

1.
छिटकी भोर
सपनों की चादर
ओढ़ मैं सोऊँ।
2.
विरह- बेला
अमावस-सी लगे
पूनों की रात।

3.
डोर- पतंग
तेरी मेरी प्रीत की
किसने काटी।
4.
चली पतंग
अपनी ही धुन में
छूने आसमाँ।

5.
रुत बसन्त
आगमन तुम्हारा
भादों पर छाई।
6.
सूनी डगर
अथक चला चल
मिलेगा साथी।
7.
बीच भँवर
डूबेगें या बचेगें
सोचता मन।
8.

तू जो नहीं
अँधेरा ही अँधेरा
लौ, न चिराग।
9
दुखती यादें
फटकार लगाई
फिर न आईं।

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प्रतिक्रियाएँ

  1. बहुत सुंदर।

    हार्दिक बधाई आप दोनों को।

    सादर

  2. पत्रिका में स्थान देने के लिए सम्पादक द्वेय को मेरा हार्दिक धन्यवाद!

    कमला जी के हाइगा बहुत सुंदर हैं, मेरी ओर से बधाई स्वीकारें।

    धन्यवाद रश्मि जी आपने समय निकाल कर रचनाएँ पढ़ी, सराही!

  3. कमला जी का भावमय हाइगा , प्रीति जी के सुन्दर हाइकु , दोनों ही बहुत अनोखे बन पड़े हैं । आपदोनों को खूब बधाई ।
    विभा रश्मि

  4. सूर्योदय के सौंदर्य को अभिव्यक्त करते कमला जी के हाइगा बहुत सुंदर हैं,वहीं प्रति जी के समस्त हाइकु कोमल भाव भूमि पर लिखे हैं।हाइकु हृदय को छूने वाले और प्रेम की कोमलता को अभिव्यक्त करते गंभीर अर्थ व्यंजक हैं।दोनो रचनाकारों को बधाई।

  5. यादों को फटकार….नवीन प्रयोग। अन्य हाइकु भी सुंदर। बधाई प्रीति जी।

  6. विभारश्मी जी, शिवजी भैया और सुशीला राणा जी, आप सभी की स्नेहिल टिप्पणियों के लिए हृदयतल से आभार!!

  7. बहुत सुंदर हाइगा एवं हाइकु।रचनाकार द्वय को हार्दिक बधाई।

  8. सुंदर भावपूर्ण हाइगा और बेहतरीन हाइकु…कमला जी तथा प्रीति जी को हार्दिक बधाई।

  9. यादों को फटकार लगाना बहुत सुंदर हाइकु प्रीतिजी बधाई स्वीकारें ।। कमला निखुरपा

  10. बहुत सुन्दर और मनभावन, मेरी हार्दिक बधाई आप दोनो को

  11. कमला जी के हाइगा एवं प्रीति जी के हाइकु दोनों बहुत सुंदर !

    ~सादर

    अनिता ललित


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