Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | जनवरी 12, 2021

2107-अकेलापन


 रश्मि विभा त्रिपाठी ‘रिशू’

1

अकेलापन
चाँद तारों का मन

कराहे – रोए

2
अकेली रात
ताकती रही राह
तुम न आए
3
पंछी उड़े ज्यों
रह गईं अकेली
शाखाएँ रोतीं
4
याद-बिछौना
मीठे स्वप्नों में खोई
जगाना नहीं
5
तुझी में बीती
तू न हो, ओ री स्मृति!
तो मैं हूँ रीती
6
दुख-बादल
चली स्मृति-पवन
छँट ही गए

7

सुमन- मन
हँसकर बिखरा
अल्प-जीवन
8
संदली-स्पर्श
हथेली में भर ली
खुशबू तेरी
9
तुम जो आए
सूने- से जीवन में
वसंत लाए
10
सुमन खिले
औ सुरभित मन
हम जो मिले
11
उगा सूरज
धरा- क्यारी में खिले
रश्मि-सुमन
12
पूर्णिमा आई
चाँद की चन्द्रिका में
विभा नहाई
13
जगमगाई
धूप मेरे आँगन
उजाला लाई
14
आ गया रवि
रश्मि-शॉल सर पे
धरा ओढ़ ले
15
हँसता चाँद
मुस्कराते नभ में
सारे सितारे
16
संवेदनाएँ
चुप्पी साधे चिढ़ाता
असुर-भाव
17
तम क्यों झेलूँ
मैं सूरज को अब
बाहों में ले लूँ!
18
नेह के मोती
मन पिरोए माला
तोड़ना नहीं
19
टूटी जो डोर
उड़े रिश्ते औ नाते
कटी पतंग
20
मुरझा गए
प्रेम-पुष्प पीर का
जंगल उगा
21
काँटे चुभोए
जग बड़ा निष्ठुर
कलियाँ रोएँ


प्रतिक्रियाएँ

  1. सभी हाइकु सुंदर।

  2. बहुत अच्छे हाइकु, हार्दिक बधाई।

  3. सबी हाइकु बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई रश्मि विभा जी।

  4. वाह ! सुंदर
    हार्दिक शुभकामनाएँ रश्मि जी

  5. सुन्दर हाइकु…हार्दिक बधाई।

  6. सुंदर हायकु।

  7. “हिन्दी हाइकु” में मेरे हाइकु प्रकाशित करने के लिये संपादक द्वय का हार्दिक आभार।
    मेरी कलम को नवीन ऊर्जा प्रदान करती आप सभी साहित्यकार मित्रगणों की टिप्पणी का बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया।

    सादर –
    रश्मि विभा त्रिपाठी ‘रिशू’

  8. बहुत सुन्दर सुन्दर भावपूर्ण हाइकु, बधाई रश्मि जी.

  9. सभी हाइकु बहुत सुन्दर और भावपूर्ण !

    तुझी में बीती
    तू न हो, ओ री स्मृति!
    तो मैं हूँ रीती

    तम क्यों झेलूँ
    मैं सूरज को अब
    बाहों में ले लूँ!

    लाजवाब!
    प्रिय रश्मि विभा त्रिपाठी ‘रिशू’,हृदय -तल से बधाई व शुभकामनाएँ!।

  10. बहुत अच्छे हाइकु, बहुत बधाई |


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