डॉ.कविता भट्ट
1
सूनी खिड़की
राह निहारे तेरी,
आँखों में भर
मिलन का काजल
मचलता आँचल।
2
चूल्हा सीला- सा
लेकिन मैं सुलगी
इस सावन
पिय तुम प्रहरी
विरहन ठहरी ।
3
बसन्त आया
गुजरा चुपचाप,
अब की होली
सैनिक के घर में
करती थी विलाप !
4
चयन करे
शूल-शय्या गर्व से
सैनिक -प्रिया
उसे भी है कहना
महान वीरांगना ।
5
सूनी है घाटी
रो रहे देवदार
नदी उदास
दहली कल रात
नृशंस था प्रहार ।
6
स्तब्ध खड़ा है,
हिमालय के मन
उद्वेग बड़ा है,
मानवता के शव
गिनता रात-दिन।
7
बूढ़ा चिनार
खड़े हो सीमा पर
रहा निहार
शव मातृ-भक्तों के
नैनों में सूनापन।
8
प्रायः रही है
निर्जीव संपत्ति -सी
युद्ध-द्यूत में
‘नारी केवल श्रद्धा’
गाया ही जाता रहा ।
9
पुरुष बना –
तर्क-न्याय प्रणेता
छद्मवेशी भी
अहल्या शिलामात्र
हाय! ये धर्मशास्त्र
10
रथ विराजे
या शीश कटे राजे
युद्ध में हारे-
सुन्दर पटरानी
कुछ नर्तकियाँ भी ।
11
पंचकन्या में
मन्दोदरी, तारा भी
कंदुक- सी ही,
रावण विभीषण
खेले सुग्रीव-बाली
12
राम न आए
उतरकर द्वार
राजा ठहरे !
सीता के वे उद्गार
तुलसी भूल गए ।
13
सीता-वीरता
रचते ‘उत्तर’ में
तुलसीदास
तो कभी नहीं होता
आज भी बनवास
14
ऐतिहासिक
हारना या जीतना,
घृणित मानी
यह सर्जन -शक्ति !
क्यों सदा तिरस्कृता ।
[**सभी चित्र एवं जी आई ऍफ़ फ़ाइल गूगल से साभार .
**चिनार का वृक्ष 627 साल पुराना है .]
बहुत सुन्दर…मेरी हार्दिक बधाई…|
By: प्रियंका गुप्ता on अगस्त 31, 2018
at 6:18 अपराह्न
सभी एक से बढ़कर एक…. बहुत ही सुन्दर सृजन
By: Purva Sharma on अगस्त 31, 2018
at 10:41 अपराह्न
बहुत सुन्दर रचनाएँ , हार्दिक बधाई !
By: jyotsna sharma on सितम्बर 1, 2018
at 1:10 पूर्वाह्न
बहुत प्यारी रचनाएँ है कविता जी !
आपको हृदय -तल से बधाई !
By: ज्योत्सना प्रदीप on सितम्बर 1, 2018
at 2:37 पूर्वाह्न
अनुपम ताँका कविता जी
By: Kamla on सितम्बर 1, 2018
at 3:18 पूर्वाह्न
वाह एक से बढ़ कर एक बेहतरीन ताँका….बधाई कविता जी।
By: krishnaverma on सितम्बर 1, 2018
at 4:52 पूर्वाह्न
सैनिक -प्रिया , प्रकृति वा सम्पूर्ण नारी की स्थिति की पृष्ठभूमि पर रचे सभी ताँका बहुत सुंदर हैं |
पुष्पा मेहरा
By: pushpamehra on सितम्बर 1, 2018
at 3:02 अपराह्न
हर ताँका दूसरे से बढ़कर । सुन्दर झाँका रचनाओं के लिये बहुत बधाई ।
By: vibharashmi on सितम्बर 1, 2018
at 9:43 अपराह्न
सुन्दर भाव अभिव्यक्ति रचनाकार को हार्दिक बधाई
By: Shashi Purwar on सितम्बर 3, 2018
at 8:14 अपराह्न
आप सबके प्रोत्साहन के लिए बहुत आभारी हूँ .अपना स्नेह बनाए रखिये .
By: Dr Kavita Bhatt on सितम्बर 3, 2018
at 11:12 अपराह्न
वाह ! बहुत ही सुन्दर, कविता जी को बहुत बहुत बधाई
By: Manju Mishra on नवम्बर 30, 2018
at 6:38 पूर्वाह्न