Posted by: हरदीप कौर संधु | मई 16, 2013

गीत- सा खिले


1-शिवराज  प्रधान

1

शर्मीली “उई”
निन्दिया पड़ोसी की
चुराके  सोई  ।
2

बर्फ़ -सफ़ेदी            
पुते मोहिनी छटा        

कला चितेरे  ।
3

चित्तचोर वो
राधिके उद्यान में

गीत- सा खिले ।

4

मीरा दीवानी

जगी हरी प्रेम मे

बेघर सोई।

5

खुली खिड़की

मदहोश अतीत

यादें उन्मत्त ।

-0-

2-राजीव नामदेव ‘‘राना लिधौरी’’

1

नेता हो रहे,

बहुत मालामाल

जन बेहाल।

2

साल पे साल,

झूठ पे झूठ बोल

फैलाते जाल ।

 3

मचे बवाल,

संसद मे लड़ते

मोटी है खाल।

4

हे परमात्मा,

तुझे याद करती

मेरी आत्मा ।

5

सदा  रिसते,

कभी नहीं भरते

पुराने घाव।

6

सतरंगी है,

गरीबों के सपने।

न होते पूरे।

7

हाथ बढ़ाते,

खुद ही जुड़ जाते

दिल के रिश्ते ।

-0-


प्रतिक्रियाएँ

  1. मीरा दीवानी
    जगी हरी प्रेम मे
    बेघर सोई।

    हाथ बढ़ाते,
    खुद ही जुड़ जाते
    दिल के रिश्ते ।

    सुन्दर हाइकु आप दोनों को बधाई।

  2. सदा रिसते,
    कभी नहीं भरते
    पुराने घाव।

    हाथ बढ़ाते,
    खुद ही जुड़ जाते
    दिल के रिश्ते ।

    हे परमात्मा,
    तुझे याद करती
    मेरी आत्मा ।
    वाह।क्‍या बात यदि यह रचनाएँ पहली बार है तो आगे क्‍या होगा। बहुत खूब

  3. सुन्दर … ः)

  4. बहुत प्रभावी प्रस्तुति ….
    हाथ बढ़ाते,

    खुद ही जुड़ जाते

    दिल के रिश्ते ।…सुन्दर !!

  5. मीरा दीवानी

    जगी हरी प्रेम मे

    बेघर सोई।
    bahut hi sunder bhav
    हाथ बढ़ाते,

    खुद ही जुड़ जाते

    दिल के रिश्ते ।
    sahi kaha aapne aesa hi hota hai
    aapdono ko bahut bahut badhai
    rachana


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