1-शिवराज प्रधान
1
शर्मीली “उई”
निन्दिया पड़ोसी की
चुराके सोई ।
2
बर्फ़ -सफ़ेदी
पुते मोहिनी छटा
कला चितेरे ।
3
चित्तचोर वो
राधिके उद्यान में
गीत- सा खिले ।
4
मीरा दीवानी
जगी हरी प्रेम मे
बेघर सोई।
5
खुली खिड़की
मदहोश अतीत
यादें उन्मत्त ।
-0-
2-राजीव नामदेव ‘‘राना लिधौरी’’
1
नेता हो रहे,
बहुत मालामाल
जन बेहाल।
2
साल पे साल,
झूठ पे झूठ बोल
फैलाते जाल ।
3
मचे बवाल,
संसद मे लड़ते
मोटी है खाल।
4
हे परमात्मा,
तुझे याद करती
मेरी आत्मा ।
5
सदा रिसते,
कभी नहीं भरते
पुराने घाव।
6
सतरंगी है,
गरीबों के सपने।
न होते पूरे।
7
हाथ बढ़ाते,
खुद ही जुड़ जाते
दिल के रिश्ते ।
-0-
मीरा दीवानी
जगी हरी प्रेम मे
बेघर सोई।
हाथ बढ़ाते,
खुद ही जुड़ जाते
दिल के रिश्ते ।
सुन्दर हाइकु आप दोनों को बधाई।
By: कृष्णा वर्मा on मई 16, 2013
at 12:53 अपराह्न
सदा रिसते,
कभी नहीं भरते
पुराने घाव।
हाथ बढ़ाते,
खुद ही जुड़ जाते
दिल के रिश्ते ।
हे परमात्मा,
तुझे याद करती
मेरी आत्मा ।
वाह।क्या बात यदि यह रचनाएँ पहली बार है तो आगे क्या होगा। बहुत खूब
By: सीमा स्मृति on मई 16, 2013
at 7:45 अपराह्न
सुन्दर … ः)
By: sunita agarwal on मई 17, 2013
at 1:42 पूर्वाह्न
बहुत प्रभावी प्रस्तुति ….
हाथ बढ़ाते,
खुद ही जुड़ जाते
दिल के रिश्ते ।…सुन्दर !!
By: jyotsna sharma on मई 17, 2013
at 10:12 अपराह्न
मीरा दीवानी
जगी हरी प्रेम मे
बेघर सोई।
bahut hi sunder bhav
हाथ बढ़ाते,
खुद ही जुड़ जाते
दिल के रिश्ते ।
sahi kaha aapne aesa hi hota hai
aapdono ko bahut bahut badhai
rachana
By: rachana on मई 20, 2013
at 6:36 पूर्वाह्न