Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | जनवरी 9, 2013

हँसी ठण्ड है


हरकीरत ‘हीर ‘
1

सर पे टोपी
गले में मफ़लर
ठण्ड शैतानी ।
2
छुट्टी से तुम
सिसकाती ठण्ड में
कब आओगे ?
3
आज भी नहीं
आया दग़ाबाज वो
मुआ सूरज  ।
4
छत पे  ढूँढ़ा,
आँगन में तलाशा,
कहाँ हो धूप  !
(5)
बर्फ -सी जमी
देख सिकुड़े अंग
हँसी ठण्ड है  ।
6
कँपकँपाती
ठण्ड में,गर्म चाय
एक सहारा  ।
7

शैतानी ठण्ड
शीत की मारी हुई
कुबड़ी रात ।
8
पेड़ -पौधों से
टप -टप  टपके
हिम -तुषार
9
छाया कोहरा
चली शीत-बयार
उई माँ ठंडी !
10
पल में खिले
पल में छुप जाए
शैतानी धूप ।
(11)
बूढ़ी हड्डियाँ
जलाए लकड़ियाँ
तापे  है अंग ।
12
गर्म राख़ में
बच्चे ले, कुनमुन
सोई कुतिया ।

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प्रतिक्रियाएँ

  1. आभार हरदीप जी और काम्बोज जी ….!!

  2. Sabhi Haiku khoobsoorat hain ! Harkeerat jee ko Hardik badhai!

  3. .
    बहुत सुंदर हाइकु लिखे हैं “हीर जी ” ने …
    बधाई !

    सारे हाइकु अच्छे हैं , पूर्ण हैं !
    तीसरे और चौथे क्रम वाले हाइकु अधिक पसंद आए …
    राजेन्द्र स्वर्णकार

  4. शीत ऋतु के सुन्दर हाइकु हरकीरत जी बधाई।

  5. आज भी नहीं
    आया दग़ाबाज वो
    मुआ सूरज ।

    छत पे ढूँढ़ा,
    आँगन में तलाशा,
    कहाँ हो धूप !

    बहुत ही सुन्‍दर हाइकु हरकीरत जी। बधाई।

  6. ठण्ड से ठिठुरते हाइकु … सभी लाजवाब …

  7. Aapne bahut man se haiku likhe hain jo bahut prbhaavkaari bane hain yun hi likhte rahiye ….bahut2 badhai…

  8. बहुत बहुत सुन्‍दर हाइकु .. बधाई।

  9. hir ji … aapke haikoo bhav bhangima ka sundar dushala pahne aaye hain ..thand jo hai n ..badhaee…–shobha rastogi

  10. सुन्दर दृश्य उपस्थित करते सभी हाइकु बहुत सुन्दर हैं …बहुत बधाई !

  11. ठण्ड का बड़ा सटीक और खूबसूरत चित्रण किया है…बधाई…|


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