हरकीरत ‘हीर ‘
1
सर पे टोपी
गले में मफ़लर
ठण्ड शैतानी ।
2
छुट्टी से तुम
सिसकाती ठण्ड में
कब आओगे ?
3
आज भी नहीं
आया दग़ाबाज वो
मुआ सूरज ।
4
छत पे ढूँढ़ा,
आँगन में तलाशा,
कहाँ हो धूप !
(5)
बर्फ -सी जमी
देख सिकुड़े अंग
हँसी ठण्ड है ।
6
कँपकँपाती
ठण्ड में,गर्म चाय
एक सहारा ।
7
शैतानी ठण्ड
शीत की मारी हुई
कुबड़ी रात ।
8
पेड़ -पौधों से
टप -टप टपके
हिम -तुषार
9
छाया कोहरा
चली शीत-बयार
उई माँ ठंडी !
10
पल में खिले
पल में छुप जाए
शैतानी धूप ।
(11)
बूढ़ी हड्डियाँ
जलाए लकड़ियाँ
तापे है अंग ।
12
गर्म राख़ में
बच्चे ले, कुनमुन
सोई कुतिया ।
-0-
आभार हरदीप जी और काम्बोज जी ….!!
By: हरकीरत 'हीर' on जनवरी 9, 2013
at 3:40 पूर्वाह्न
Sabhi Haiku khoobsoorat hain ! Harkeerat jee ko Hardik badhai!
By: सुभाष लखेड़ा on जनवरी 9, 2013
at 4:02 पूर्वाह्न
.
बहुत सुंदर हाइकु लिखे हैं “हीर जी ” ने …
बधाई !
सारे हाइकु अच्छे हैं , पूर्ण हैं !
तीसरे और चौथे क्रम वाले हाइकु अधिक पसंद आए …
राजेन्द्र स्वर्णकार
By: Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार on जनवरी 9, 2013
at 5:26 पूर्वाह्न
शीत ऋतु के सुन्दर हाइकु हरकीरत जी बधाई।
By: कृष्णा वर्मा on जनवरी 9, 2013
at 12:50 अपराह्न
आज भी नहीं
आया दग़ाबाज वो
मुआ सूरज ।
छत पे ढूँढ़ा,
आँगन में तलाशा,
कहाँ हो धूप !
बहुत ही सुन्दर हाइकु हरकीरत जी। बधाई।
By: सीमा स्मृति on जनवरी 9, 2013
at 3:26 अपराह्न
ठण्ड से ठिठुरते हाइकु … सभी लाजवाब …
By: Digamber Naswa on जनवरी 9, 2013
at 8:04 अपराह्न
Aapne bahut man se haiku likhe hain jo bahut prbhaavkaari bane hain yun hi likhte rahiye ….bahut2 badhai…
By: Dr.Bhawna on जनवरी 10, 2013
at 11:33 पूर्वाह्न
बहुत बहुत सुन्दर हाइकु .. बधाई।
By: Arun Singh Ruhela on जनवरी 12, 2013
at 1:30 पूर्वाह्न
hir ji … aapke haikoo bhav bhangima ka sundar dushala pahne aaye hain ..thand jo hai n ..badhaee…–shobha rastogi
By: shobha rastogi shobha on जनवरी 15, 2013
at 2:26 पूर्वाह्न
सुन्दर दृश्य उपस्थित करते सभी हाइकु बहुत सुन्दर हैं …बहुत बधाई !
By: ज्योत्स्ना शर्मा on जनवरी 15, 2013
at 9:34 अपराह्न
ठण्ड का बड़ा सटीक और खूबसूरत चित्रण किया है…बधाई…|
By: प्रियंका गुप्ता on जनवरी 23, 2013
at 5:54 अपराह्न