Posted by: हरदीप कौर संधु | जनवरी 4, 2012

धूप की धूनी


नीलमेन्दु सागर , बेगूसराय

1

गुलाबी सेब

देख तुम मुस्काए

सेब लजाए ।

2

आँखों में मेघ

ओठों पर बिजली

भीगूँ या जलूँ

3

धूप की धूनी

रमाए बैठा वन

आदिम मन ।

4

ग्रीष्म तपन

प्रतीक्षा करे मन

मेघदूत की

5

आँगन खड़ी

चाँदी -कटोरा हाथ

भिक्षुणी रात

6

बीहड़ वन

अकेली मस्त  छोरी

पहाड़ी नदी  ।

7

राका उर्वशी

आँगन इठलाती

दूधिया हँसी

8

बाल विधवा

अकेली मोमबत्ती

जली पिंघली

9

सार्थक लगे

पानी के बुलबुले

छूते ही टूटे

-0-

(‘सच बोलते शब्द’  हाइकु -संग्रह: सम्पादक -राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’ से साभार)


प्रतिक्रियाएँ

  1. आँखों में मेघ
    ओठों पर बिजली
    भीगूँ या जलूँ
    kya kehne…badhai…

  2. बीहड़ वन
    अकेली मस्त छोरी
    पहाड़ी नदी ।
    ..bahut khoob!
    Aap sabko navvarsh ki manag kamnayen!

  3. Nav varsh kee haardik shubhkamnayen!

  4. आँखों में मेघ
    ओठों पर बिजली
    भीगूँ या जलूँ
    kamal ka bimb

    आँगन खड़ी
    चाँदी -कटोरा हाथ
    बिक्षुणी रात

    atiuttam
    badhai
    rachana

  5. सभी हाइकु बहुत सुंदर और भावपूर्ण हैं,बधाई|

  6. आँगन खड़ी
    चाँदी -कटोरा हाथ
    बिक्षुणी रात…

    Ekdam nayi soch bahut achchhi lagi ye upamaa bahut2 badhai…

  7. आँखों में मेघ
    ओठों पर बिजली
    भीगूँ या जलूँ
    बहुत खूब….बधाई


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