Posted by: हरदीप कौर संधु | मार्च 21, 2015

कमल


1- डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

कमल-31

नील कमल !

शांत झील ने गाई

मीठी ग़ज़ल ।

2

ओस नहाए

कमल गुलाबी ,या

प्रभु मुस्काए ।

3

धरा सजी है,

नीली चुनरिया पे

श्वेत कमल ।

4

जागी थी झील

कमल नयन ये

हुए हैं लाल ।

5

खिले कमल ,

कि धीरे से नयना

खोले है झील ।

कमल-16

पंक में खिल

सिखा दो न कमल

रहूँ निर्मल ।

7

नीर नीरज ?

या नीले दर्पण में

देखूँ मैं तुम्हें ।

-0-

2-हरकीरत हीर

1

ताल -तलैया

कमल खिल आए

यौवन छाया ।

2

खिला कमल

आलिंगन करता

मुस्काई झील ।

3

हरे पत्तोंकमल-2 पे

गुलाबी पंखुड़ियाँ

तिरे सरोज ।

4

निडर खड़ा

कीच बीच अंबुज

सिखाये जीना ।

-0-


प्रतिक्रियाएँ

  1. behad sundar!

  2. sare utkrisht haiku

  3. नील कमल !
    शांत झील ने गाई
    मीठी ग़ज़ल ।
    निडर खड़ा
    कीच बीच अंबुज
    सिखाये जीना ।
    sundar haiku 🙂 badhayi

  4. संदेश देते
    मनोहर हाइकु
    मन मोहते

    सादर:-

    रेखा रोहतगी

  5. सुंदर प्रकृति चित्रण

  6. सभी बहुत सुन्दर और मनोरम !

  7. नील कमल !
    शांत झील ने गाई
    मीठी ग़ज़ल । waah ….

  8. sabhi haiku bahut sunder hain jyotsna ji va har keerat ji badhai. pushpa mehra

  9. सम्पादक द्वय तथा आप सभी मित्रों का बहुत आभार !
    निडर खड़ा
    कीच बीच अंबुज
    सिखाये जीना ।…बहुत सुन्दर हाइकु हीर जी !

  10. सभी हाइकु इस सुबह को सुंदर बना गए। डॉ ज्योत्स्ना शर्मा और हरकीरत ‘हीर’ जी हार्दिक बधाई !

  11. कहीं कमल ने छेड़ दी गज़ल और कहीं जीवन रीत सिखा दी | दोनों हाइकुकारों को बधाई |

  12. Bahut sundar haiku dono ko hardik badhai…

  13. बहुत-बहुत शुक्रिया 🙂

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

  14. बहुत सुन्दर…आप दोनों को हार्दिक बधाई…|


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