( डॉ सुधा गुप्ता जी के हाइकु में प्रकृति अभिन्न रूप में अनुस्यूत रहती है। उनके पुष्प विषयक हाइकु में से कुछ हाइकु यहाँ दिए जा रहे हैं। साथ ही मंजुल भटनागर के ‘चम्पा’विषय पर हाइकु भी ।)
डॉ सुधा गुप्ता
1
फूले निंबुवा
खुशबू फैल गई
दूर दराज़ ।
2
गमक उठीं
केवड़े की डालियाँ
चन्दनी श्वेत ।
3
चम्पा के फूल
तीव्र सुगन्धि ऐसी
सही न जाए ।
4
बेला की कली
चटखी आधी रात
सुबह खिली ।
5
जेठ की गर्मी
सब झुलस रहे
मोगरा खिला ।
6
चाँदनी-पेड,
सफ़ेद फूलों- भरा
जगमगाता ।
7
रजनीगंधा,
झाड़ ने समेटे हैं
हज़ारों तारे ।
8
मधु मालती;
रात के आँचल में
सोंधी खुशबू ।
9
मौलश्री खिली
शोखियाँ बेहिसाब
असंख्य कली ।
10
जूही- वल्लरी
नाजुक,सुकुमार
फूलों से भरी ।
11
बेला के फूल
आँखों को दे राहत
श्वेत सुकून ।
-0-
मंजुल भटनागर
1.
इत्र लपेटे
सौदामिनी- सी रात
चम्पई रंगी ।
2
द्वार फैले थे
हजारों बल्ब जगें
चंपा के फूल ।
3.
ज्यौनार सजें
दुल्हन हँसे मन
मग्न थी चंपा ।
4
पंच पंखुरी
पंच तत्त्व से नाता
चंपा सी- ज्ञाता ।
5
स्वप्न जगानें
मंत्र मुग्ध -सी चंपा
गयी रिझाने ।
-0-
विभिन्न कुसुमों की शानदार छटा बिखेरते बेहतरीन हाइकु!
डा० सुधा गुप्ता जी, मंजुल भटनागर जी….हार्दिक बधाई!
By: कृष्णा वर्मा on जुलाई 2, 2013
at 10:10 पूर्वाह्न
सभी हाइकु विभिन्न ख़ुशबुओं से तर-बतर हैं।
By: Dr. anita Kapoor on जुलाई 2, 2013
at 11:43 पूर्वाह्न
आप दोनों के हाइकु तरह – तरह के फूलों की महक सीमाएं तोड़ कर हाइकु की महक से
महका रहें हैं ..
बधाई .
By: manju gupta on जुलाई 2, 2013
at 4:25 अपराह्न
बहुत ही सुंदर महकती हुई फूलों की बहार…. 🙂
अति सुंदर अभिव्यक्ति!
हार्दिक बधाई… सुधा जी तथा मंजुल जी!:)
~सादर!!!
By: anita on जुलाई 2, 2013
at 4:42 अपराह्न
waah sabhi haiku phoolo ki khushboo samete huye , badhai sudha ji , manjul ji
By: shashi purwar on जुलाई 2, 2013
at 5:55 अपराह्न
बहुत सुन्दर पुष्प गुच्छ … सुवासित हाइकु प्रस्तुति हेतु बहुत बधाई एवं धन्यवाद आ सुधा दीदी एवं मंजुल जी को !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
By: jyotsna sharma on जुलाई 3, 2013
at 3:19 अपराह्न
ssudha ji manjul ji phoolon ki khusboo bhare haiku- phhlon ki khushboo
sabhi jagah pahunch gayi.
badhai.
pushpa mehra.
By: pushpamehra on जुलाई 4, 2013
at 12:06 अपराह्न
इन हाइकु को पढ़ कर यूँ लगा जैसे एक महकते हुए उपवन में पहुँच गए हों…| बहुत सुन्दर…आदरणीय सुधा जी और मंजुल जी को हार्दिक बधाई…|
By: प्रियंका गुप्ता on जुलाई 4, 2013
at 1:39 अपराह्न
सभी रचना एक से बढ़कर एक…बहुत बहुत बधाई !
By: Arun Singh Ruhela on जुलाई 16, 2013
at 6:44 पूर्वाह्न