Posted by: हरदीप कौर संधु | अगस्त 27, 2012

रिमझिम के संग ( वर्षा-हाइकु)


1-डॉ नूतन डिमरी गैरोला 

1

सूखी धरा – सा

बिन बरखा मन

सजन बिन ।

2

मन-मयूर

रिमझिम के संग

नाचे मगन ।

3

मन का चोर

मचले ,घटा  छाए

 जो घनघोर ।

4

चातक मन

तृप्ति चाहे सजन

तुम बरसो ।  

5

बूँद की प्यास

किसी ने न जाना

नमी आँसू की 

6

बूँद है प्यासी

सीप में उतर के

मोती होने को ।

7

साँसों की लय

गाए पावस -गीत

प्रीत मगन ।

8

दबा जो बीज

मन -गीली मिट्टी पे 

अंकुर उगा ।

9

नाचे सावन 

बरखा की झाँझर

बूँदों का गीत ।

10

झूमे बरखा 

बचपन तैराए 

कागज – नौका ।

11

सखियाँ  आओ 

संग मेहँदी खुश्बू 

झूलेंगे झूला ।

12

मन -काँवर 

शिव चरणों पर, 

सावन आया ।

13

घन  गरजे 

तड़ित जो चमके 

झूम बरसे ।

14

वर्षा तो आई 

हरियाली भी लाई 

मन हर्षित ।

-0-

2-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

1

वर्षागमन

सप्तरंग हो खिला

गगन- मन ।

2

ये पुरवाई

रजत ,साँवरे- से

मेघ ले डोले ।

3

बूँदों से बातें

धरती ने फिर दीं

प्यारी सौगातें ।

4

वर्षा अमृत

नयन मूँद भीगे

बच्चा- सा मन ।

5

बूँद बरसीं

छनकीं हैं यादें भी

पैंजनियाँ -सी ।

6

रूठी रहतीं

या बरसी हो ,वर्षा

इतना क्यों  …हाँ …?

7

पीर सघन

टूट -टूट जाता है

मेघा का मन ।

-0-

3-रचना श्रीवास्तव

1

वर्षा पहने
बूँदों सजा  लहँगा
मटक चले ।

2
भरे गागर
ऋतु पनिहारिन
छलक जाए ।
3
भिगोए तन
मन फिर भी प्यासा
वर्षा की धार ।
4
डर के सोए
बादल जो गरजे
हमार मुन्ना  ।
5
सावन आया
बिखरी आँगन में
यादों की बूँदें  ।
6
सावन लाए
आँचल  भर मोती
आँगन भीगे ।
7
सूखे तट पे
बैठा सावन देखे
बरसे नहीं  ।
8
बरस  जाओ
सूख रहा है गला
कुआँ पुकारे  ।
9
पोखरा नाचे
पड़ी पावस -धार
किनारे  खुश !
10
धरा चहकी
गुलज़ार नदियाँ
सावन आया  ।
11
बहना रोए
भैया क्यों नहीं आए ?
सावन आया  ।
12
इस सावन
माँ कैसे भूली गई
मुझे बुलाना ।
13

खुश किसान
जलेगा चूल्हा अब
वर्षा जो आई  ।
14
पानी में नहा
मुरझाई फसलें
हो गईं हरी ।
15
बादल छाए
बाँध बूँदों के घुँघरू
मोर ज्यों  नाचे  ।
16
कारे बदरा
लेजा प्रेम पतियाँ
वो राह देखे  ।
-0-

4-अमिता कौण्डल

1

गरजे मेघ

जल का वरदान

पाए किसान ।

2

घन श्यामल

बिजली की कटार

जल-संगीत  ।

3

मन हर्षित

बरखा की फुहार

भादों का राज  ।

4

प्यासी धरती

हुई है आनन्दित

देखे जो घन  ।

5

घन -मृदंग

बनी विद्युत वीणा

बरखा -राग  ।

6

गाए  मल्हार

कोयल की जो कूकें ,

वरसें मेघा

-0-

5-डॉ सरस्वती माथुर

1

वर्षा की बूँदें

पत्तों पर टपकी

संगीत बना

2

वर्षा आई तो

टपकते छप्पर

ढोल बजाएँ ।

3

बरसी वर्षा

फूलों के तन चाक

बूँदें बेबाक  

4

बूँदें बरसी

टप– चट-चुट -सी

भादों जो आया

5

धवल घटा

धारासार बरसी

माँ के दूध– सी

6

बारिश आई

जंगली गुलाब– सी

खुशबू छाई  

7

कौंधी तडित

बादलों के पार से

चाँदी छानती

8

बारिश पीती

धरती हरी हुई

हके पाखी

9

वर्षा बहार

बूँदे बंदनवार

घटा अनूठी

10

माटी महकी

आई वर्षा रानी की

पी जलधार  

11

बादल हँसे

रोई बूँदे नभ में

धरा भी भीगी  

12

प्यासी नदिया

बरसो बदरिया

धरा बुलाए  

-0-


प्रतिक्रियाएँ

  1. सभी हाईकु बहुत सुंदर ….!!
    कई बार पढ़ लिये ….!!
    नूतन जी,ज्योत्सना जी ,रचना जी ,अमिता जी …आप सभी को बहुत बधाई …!!

  2. बहुत प्यारे हाइकु…रिमझिम बूँदों के साथ मटकती मचलती वर्षा रानी !!

    नूतन जी,ज्योत्सना जी ,रचना जी एवं अमिता जी …आप सभी को बहुत बधाई …!!

  3. सभी हाइकु बेहद प्रभावशाली …..

  4. बरखा के मन भावन रंग बिखेरते सभी हाइकू रिमझिम फुहार जैसे ही हैं…

  5. Sabhi haiku eak se badhkar eak sabhi lekhkon ko hardik badhai…

  6. bahut sundar haiku sabhi ek se badhkar ek badhai sabhi rachnakaro ko

  7. All laghu Poems are really very nice but ….I want to say congrats to Dr Saraswati Mathur about these Wonderful lines :
    “varsha ki boonden
    paton par tapki
    sangeet bana …”.Wow!
    Vimlesh

  8. आज झमाझम बारिश हुई और ऐसे मौसम को महसूस करने के लिए यहाँ रिमझिम हाइकु की बरसात, मन प्रसन्न हो गया. सभी हाइकु बहुत सुन्दर. अमिता जी, ज्योत्सना जी, नूतन जी, सरस्वती जी और रचना जी को बधाई.

  9. बरखा की शीतल फुहार से महसूस हुए ये हाइकु…सभी को बधाई…।

  10. सभी हाइकु बहुत अच्छे लगे। बरखा का भीगा सा अहसास हाइकु पढ़ते हुए महसूस तो किया ही साथ ही सुंदर बिंब मन को भा गए।अमिता जी,ज्योत्सना जी, रचना जी,नूतन जी तथा सरस्वती जी आप को हार्दिक बधाई!!!


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