Posted by: हरदीप कौर संधु | अगस्त 7, 2012

पाखी -सा मन


शशि पाधा

  1

धरा ने ओढ़ी

फूलों कढ़ी ओढ़नी

 आया फागुन ।

2

 पाखी -सा मन

 सावन का मौसम

 उड़ता फिरे  ।

3

 शीतल रेत

 चाँदनी की किरणें

 तेरा आभास  ।

4

मन की बात

अधर चुपचाप   

अखियाँ कहें  ।

5

रेत में सीप

बचपन के मीत

मोती -सी प्रीत  ।

6

प्राची में भोर

किरणों की लड़ियाँ

सिंदूरी छोर  ।

7

अँधेरी रात

विरहन की आँखें

दूर प्रभात  ।

8

धूप के पाँव

गगन की गलियाँ

छुपी है छाँव ।

9

भोर के गीत

किरणों की झाँझर

चिडियाँ सुनें ।

10

हौले मुस्काए ,

झरोखे  खड़ी भोर-

‘चाय हो जाए।’

-0-

 


प्रतिक्रियाएँ

  1. सभी हाइकु मनमोहक है पर ये तो बस कमाल है…
    हौले मुस्काए ,
    झरोखे खड़ी भोर-
    ‘चाय हो जाए।’
    प्यारी सी भोर चाय की चुस्की लेती हुई. शशि जी को बधाई.

  2. सभी हाइकु बहुत सुन्दर
    शशि जी को बधाई।

  3. हौले मुस्काए ,
    झरोखे खड़ी भोर-
    ‘चाय हो जाए।’
    प्रकृति विषय पर सभी हाइकू बहुत सुंदर हैं….. मुस्कराती भोर के साथ चाय.. बस मजा आ गया और इसको पढ़ कर तो अब हमारा भी मन चाय पीने को हो गया … सो हम भी चले चाय पीने 🙂 आप भी गरमागरम चाय पीकर आइये…

  4. sabhi haiku bahut sundar.. 🙂

  5. सभी हाइकु बहुत मनमोहक हैं परन्तु ….
    हौले मुस्काए ,
    झरोखे खड़ी भोर-
    ‘चाय हो जाए।’ ….कहती …मुस्कुराती भोर की परिकल्पना बेहद खूबसूरत है …हर जीवन में ऐसी मुस्कुराती भोर सदा बनी रहे ……बहुत बधाई आपको

  6. पाखी -सा मन
    सावन का मौसम
    उड़ता फिरे ।

    सावन के महीने में ये हाइकु मन को भिगो गया |

  7. Shashiji …
    Aapke Haiku Padhe,bahut hee sunder hain ….aapko badhai!
    Dr saraswati mathur

  8. पाखी -सा मन
    सावन का मौसम
    उड़ता फिरे ।

    शीतल रेत
    चाँदनी की किरणें
    तेरा आभास ।
    ……

    सभी हाइकु बहुत अच्छे हैं…बधाई स्वीकार करें!
    सारिका मुकेश

  9. मन को छू लेने वाले हाइकु


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