Posted by: हरदीप कौर संधु | अगस्त 13, 2011
राखी के धागे
रक्षाबन्धन के शुभ अवसर पर 16 रचनाकारों ने भाई -बहन के परम पावन स्नेह सम्बन्धों के विविध पक्षों पर अपने भावों की सुरभि बिखेरी है । यह सुगन्ध विश्व भर में फैले और इस सुदृढ़ बन्धन को और भी मज़बूत करे । आप सबको हिन्दी -हाइकु परिवार की तरफ़ से अगणित शुभकामनाएँ !]
डॉ. हरदीप सन्धु और रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
बहने हैं छाँव
शीतलता मन की
ये जीवन की ।
2
बहनें आईं
खुशबू लहराई
राखी सजाई ।
3
राखी के धागे
मधुर रस -पागे
बहिनें बाँधें ।
4
गले से लगी
सालों बाद बहिन
नदी उमगी ।
5
बहिनें सभी
मेरी आँखों का नूर
पास या दूर ।
6
उठी थी पीर
बहिनों के मन में
मैं था अधीर ।
7
इस जग में
ये बहिनों का प्यार
है उपहार ।
8
राखी का बन्ध
बहिनों से सम्बन्ध
न छूटे कभी ।
19
सरस मन
खुश घर -आँगन
आई बहिन ।
10
अश्रु-धार में
जो शिकायतें -गिले
धूल -से धुले ।
11
आज के दिन
बहिन है अधीर
आया न बीर ।
12
खिले हैं मन
आज नेह का ऐसा
दौंगड़ा पड़ा ।
13
छुआ जो शीश
भाई ने बहिन का
झरे आशीष ।
14
मन कुन्दन
कुसुमित कानन
हर बहन ।
15
पावन मन
जैसे नील गगन
नहीं है छोर ।
16
शीतल छाँव
ये जहाँ धरे पाँव
मेरी बहन ।
-0-
17-ताँका
उफ़न उठी
नयनों की तलैया
बरसों बाद
घर लौटके आए
थे जब रूठे भैया
-0-
2-प्रियंका गुप्ता , कानपुर
1
भाई-बहन
अनमोल ये रिश्ता
संजो रखना ।
2
भाई-बहन
एक धागे से बँधे
जीवन भर ।
3
छोटी बहन
भाई के काँधे चढ़
मेला घूमती ।
4
डोली में बैठ
विदा हुई बहना
यादें दे गई ।
5
अपनी रोटी
भाई को खिला कर
तृप्त बहना ।
6
पवित्र रिश्ता
पैसों से तोल कर
कलंक न दो ।
-0-
अब एक ताँका-
1
बिन बात के
लड़ना-झगड़ना
चिल्ला के रोना
फिर माँ की धौल खा
इकठ्ठे बैठ रोना ।
-0-
3-रेखा रोहतगी , दिल्ली
1
रक्षा का भार
बँधा कच्चे धागों में
अटूट प्यार
2
बहिन-भाई
मिलने को तरसें
सलूनो आई
3
नभ को छू लें
भाई-बहन झूलें
खुशी से फूलें
-0-
ताँका
1
परदेस में
मेरी बहना ब्याही
मन तरसे
देख सूनी कलाई
रोकूँ कैसे रुलाई
2
सच्चे धागे में
बँधे तार मन के
अटूट रिश्ते
पैसे में तो तुलते
व्यवहार जग के
-0-
4-अमिता कौण्डल ,कैलिफ़ोर्निया
1
भैया की रक्षा
करता कच्चा धागा
प्रेम की शक्ति
2
डोरी से बाँधा
भैया को बहन ने
राखी-उत्सव
3
राखी का पर्व
भैया तेरी कलाई
बहुत दूर
-0-
5-डॉ जेन्नी शबनम ,दिल्ली
1.
राखी का पर्व
पूर्णमासी का दिन
सावन माह.
2.
राखी -त्योहार
सब हों ख़ुशहाल
भाई –बहन.
3.
बहना आई
राखी लेकर प्यारी
भाई को बाँधी.
4.
रक्षा बंधन
प्यार का है बंधन
पवित्र धागा.
5.
रक्षा का वादा
है भाई का वचन
बहन ख़ुश.
6.
भैया विदेश
राखी किसको बाँधे
राह निहारे.
7.
राह अगोरे
भइया नहीं आए
राखी का दिन.
8
सजेगी राखी
भैया की कलाई पे
रंग –बिरंगी.
9.
राखी की धूम
दिखे जो चहुँ ओर
मनवा झूमे.
10.
रक्षा –बंधन
याद रखना भैया
प्यारी बहना.
11.
अटूट रिश्ता
जोड़े भाई –बहन
रक्षा बंधन.
-0–
5-उमेश मोहन धवन, कानपुर
1
फिर से आया
स्नेहपूर्ण त्योहार
रक्षाबंधन
2
गंगा जल -सा
निर्मल पावन है
यह बंधन
3
आज ही नहीं
तुम्हें सुखी देखूँ मैं
जीवन भर
4
हो निराश ना
इस अवसर पे
कोई बहना
5
सूनी कलाई
कहीं बहन नहीं
कहीं न भाई
6
स्नेह के धागे
लिये हाथ में पर
पलकें नम
7
रंगबिरंगी
राखियाँ तो अनेक
भाई न एक
-0-
7- डॉ श्याम सुन्दर ‘दीप्ति’
1
राखी का धागा
है कितना अभागा
बहन नहीं
2
बेटा बोला -माँ
राखी तो ले आई हो
दीदी को लाती
पसंद करें लोड हो रहा है...
Related
सभी रचमाकारों के हाइकु अति सुन्दर हैं. उनकी मेहनत की सफलता के लिये सभी को बधायी
तथा रक्षाबंधन की बहुत बहुत शुभकामनायें
उमेश मोहन धवन, कानपुर
By: उमेश मोहन धवन on अगस्त 13, 2011
at 9:59 पूर्वाह्न
सभी को रक्षाबन्धन के पवित्र दिन की हार्दिक बधाई…। जितना मनमोहक रिश्ता भाई-बहन का होता है, उतने ही प्यारे हाइकु हैं…।
By: प्रियंका गुप्ता on अगस्त 13, 2011
at 3:14 अपराह्न
सारे हाइकु इस परम पावन पर्व में चार चाँद लगा रहे हैं
रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभ कामनाएँ|
By: ऋता शेखर 'मधु' on अगस्त 13, 2011
at 3:47 अपराह्न
रक्षाबंधन के पावन पर्व पर इतने सारे हाइकु का संकलन पढ़ कर मन हर्षोल्लास से भर गया …सभी रचनाकारो को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं ….
विशेषकर प्रिय भाई हिमांशु जी एवं प्रिय बहिन हरदीप जी को इस सुन्दर एवं सारगर्भित संकलन के लिए हार्दिक आभार एवं रक्षाबंधन की मंगलकामनाएं……
By: ramadwivedi on अगस्त 13, 2011
at 10:56 अपराह्न
बहुत सुन्दर संकलन … शुभकामनायें
By: sangeeta swarup on अगस्त 13, 2011
at 11:14 अपराह्न
रक्षा बंधन के इस पावन पर्व पर प्रकाशित किए गए सभी हाइकु और तांके गजब के हैं। सभी रचनाकारों को बधाई लेकिन डा0 श्याम सुन्दर दीप्ति जी को विशेष तौर पर जो इस पर्व के बहाने हाइकु कविता से जुड़े और इतने सुन्दर हाइकु पढ़ने को दिये। ये हाइकु सिद्ध करते हैं कि हाइकु जीवन के किसी भी विषय पर लिखे जा सकते हैं, उनका अभिव्यक्ति संसार बहुत व्यापक है !
By: सुभाष नीरव on अगस्त 14, 2011
at 12:59 पूर्वाह्न
आदरणीया रमा जी आपके इस स्नेह एवं प्रोत्साहन के लिए हम दोनो बहुत आभारी हैं ।
By: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' on अगस्त 14, 2011
at 3:22 पूर्वाह्न
काम्बोज भाई, आपके सभी हाइकु बहुत अच्छे लगे, ये दो तो बहुत ख़ास और अपना सा लगा…
बहिनें सभी
मेरी आँखों का नूर
पास या दूर ।
उठी थी पीर
बहिनों के मन में
मैं था अधीर ।
सभी हाइकुकारों को इस पवन अवसर पर ह्रदय से बधाई और शुभकामनाये.
मेरे हाइकु को यहाँ स्थान देने केलिए बहुत आभार.
By: jenny shabnam on अगस्त 15, 2011
at 9:46 अपराह्न
यह सब आप जैसी सभी बहनों की आत्मीयता का प्रतिफल है । आप सब अपने ही तो हैं >
By: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' on अगस्त 17, 2011
at 11:33 अपराह्न
very nice…
By: nisha maharana on जून 12, 2012
at 11:16 अपराह्न