Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | जून 19, 2011

पिता के लिए


भारत यू एस ए यू के कनाडा , चीन , पाकिस्तान  आदि देशों में पितृ -दिवस जून के तीसरे रविवार को(इस बार 19 जून) मनाया जाता है ।  वैसे तो पितृ -दिवस प्रति क्षण प्रतिदिन है । हम निर्भयता और दायित्वबोध पिता से भी सीखते हैं । रचना श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कुछ देर पहले हिन्दी हाइकु के लिए अपने नए हाइकु भेजे हैं । हम सभी की ओर से स्नेह और विश्वास का सहारा देने वाली पितृ-शक्ति को प्रणाम !

डॉ हरदीप सन्धु -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

 

रचना श्रीवास्तव

1

पिता विश्वाश
लड़खड़ाते हुए
कदमो का है
2
नन्हे पौधों का
धूप ,पानी, खाद है
केवल पिता

3
तोतली भाषा
मासूम सपनों का
भरोसा पिता
4
कडवा नीम -सा
तो  शहद- सा मीठा
स्वभाव में वो
5
खड़ा होता है
घूप में बन साया
केवल पिता
6
उड़े   जो पंछी  
सूखा बूढ़ा  पीपल
इन्तज़ार में
7
कौन दे पानी
बगीचे में पौधों को
नहीं जो माली
8
अब्बा उदास
लख्ते- जिगर नहीं
उनके पास
9
दो हाथ बढ़े
तूफान से बचाने
नन्हे  पौधे को
10
घर की नीव
डेहरी में अनाज –
से मेरे पिता
11
माँ का सिन्दूर
बच्चे का  झुनझुना
पिता ही होता
12
पिता धुरी है
घूमती चारो ओर  

बच्चे की  दृष्टि

13

 उठे न डोली
बेटी रहे कुँआरी
पिता न हो तो
14
जीवन -धूप
बाबुल का आँगन
ठण्डी- सी छाँव
15
पिता फूल है
काँटों वाला ,देता न
जो  भटकने
16
बचपन है
जो  पिता रहे संग
वरना खाली 
-0-

 


प्रतिक्रियाएँ

  1. रचना श्रीवास्तव के इस वसर पर प्र प्रकाशित सभी हाइकु बहुत अच्छे हैं-‘-उड़े जो पंछी /सूखा बूढ़ा पीपल /इन्तज़ार में ‘पंछी का प्रतीकात्मक प्रयोग बहुत मार्मिक है। पोषण के सन्दर्भ में माली का प्रयोग महत्त्वपूर्ण है ।
    “कौन दे पानी
    बगीचे में पौधों को
    नहीं जो माली ”
    -और इन पंक्तियों की सार्थकता आज के बिखराव भरे समाज में बखूबी समझी जा सकती है ।
    उठे न डोली
    बेटी रहे कुँआरी
    पिता न हो तो – डॉ हरदीप सन्धु और भाई काम्बोज जी ने अल्प समय में हिन्दी हाइकु के माध्यम से विश्व भर के रचनाकारों को जोड़ा है ; यह कम महत्त्वपूर्ण नहीं है ?’हिन्दी हाइकु के सभी नए रचनाकार मंजे हुए हैं। नए से नए विषयों पर सैंकड़ों हाइकु पेश करके ‘हिन्दी हाइकु’ ने अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया है । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई !

  2. पितृ दिवस पर हमारी भी बधाइयाँ !

  3. पितृ दिवस पर आपके द्वारा की गयी इस सुंदर प्रस्‍तुति की चर्चा ब्‍लॉग4वार्ता में की गयी है !!

  4. Satishraj ji aapke sneh shbdon ka bahut bahut dhnyavad.aap ka shirvad mlne se laga mehnat safal hui himanshu ji ne ye ek aesa kaam kiya hai jiski prashansha ke liye mere pas shbd nahi hai me kabhi bhi haiku nahi likhti yadi bhai himanshu ji ne sikhaya na hota .aapka bahut bahut dhnyavad
    mukul ji aap ko bhi bahut abhut shubh ho.
    sangeeta ji mere haiku lene ka aapka bahut bahut dhnyavad
    punah aap sabhi ka dhanyavad
    rachana

  5. रचना जी पितृ दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं -सुन्दर उद्गार -अच्छा हाइकु

    दो हाथ बढ़े
    तूफान से बचाने
    नन्हे पौधे को
    -0-0
    शुक्ल भ्रमर

  6. जीवन -धूप
    बाबुल का आँगन
    ठण्डी- सी छाँव
    bahut khoob

  7. नमस्कार !
    हिमांशु सर !
    रचना जी !
    रचना जी सभी हाइकू बेहद सुंदर है नए बिम्बों में पिता को रखती , आपके हाइकु पढ़कर अपने पूज्य पिता जी का चित्र उभर आया;जिनका निधन हुए कल (२३ जून ) को पूरे तीन माह हो जायेगे ! सुंदर अभिव्यक्ति कि लिए आप को बधाई , साधुवाद !
    सादर

  8. sabhi haiku eaksebadhkar eak hain bahut2 badhai…

  9. सभी हाइकु बहत सुन्दर है! पितृ दिवस पर प्रशंसनीय प्रस्तुति!

  10. तोतली भाषा
    मासूम सपनों का
    भरोसा पिता

    Beautiful….. वैसे तो सभी हाइकू एक से बढ़ कर एक हैं, लेकिन इस की तो बात ही निराली है.. मन मुग्ध हो गया… इतनी सुन्दर बात की प्रशंसा में कुछ कहना, सूरज को दिया दिखाने जैसी बात होगी…


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