Posted by: हरदीप कौर संधु | अगस्त 7, 2010

घर


रौशन हुए

मकाँ को जब देखा

लगा घर है

डॉ. सतीश राज पुष्करणा


प्रतिक्रियाएँ

  1. Superb!

    हाइकु में इतना सुन्दर शब्द- प्रवाह … पढ़ कर मज़ा आ गया.. कई बार पढ़ा, हर बार एक बार और पढने को मन हुआ

  2. हाइकु भी अद्भुत रचना होती हैं. गागर में सागर के समान.

  3. लाजवाब

  4. मर्मस्पर्शी हाइकु के रसास्वादन कराने हेतु बधाई स्वीकारें।


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