कमला निखुर्पा

1
ऊँचे हैं तरु
उत्तुंग हैं शिखर
मानव बौना ।

2
कब से खड़े
शीत घाम को सहें
कुछ ना कहें ।
3
बरस बाद
ली है गहरी साँस
खिला बुराँश ।

4
कुछ ना कहूँ
अपलक नैनों से
देखती रहूँ।
कमला निखुर्पा
1
ऊँचे हैं तरु
उत्तुंग हैं शिखर
मानव बौना ।
2
कब से खड़े
शीत घाम को सहें
कुछ ना कहें ।
3
बरस बाद
ली है गहरी साँस
खिला बुराँश ।
4
कुछ ना कहूँ
अपलक नैनों से
देखती रहूँ।
कमला निखुर्पा में प्रकाशित किया गया
सभी हाइकु गहन अर्थ-व्यंजक,विशेषतः प्रथम हाइकु की व्यंजना मनुष्य को वास्तविकता से परिचित करा रहा है ,प्रकृति के सम्मुख सचमुच मनुष्य बहुत बौना है।बधाई कमला निखुर्पा जी।
By: शिवजी श्रीवास्तव on मार्च 17, 2023
at 4:45 अपराह्न
अति सुन्दर! बधाई आपको।
By: सुरंगमा यादव on मार्च 17, 2023
at 6:47 अपराह्न
बहुत सुंदर हाइकु।
हार्दिक बधाई आदरणीया
सादर
By: rashmivibhatripathi on मार्च 18, 2023
at 12:50 पूर्वाह्न
अतिसुन्दर सभी हाइगा!
~सादर
अनिता ललित
By: Anita Lalit on मार्च 18, 2023
at 2:36 पूर्वाह्न
क्षमा कीजिएगा! पिछली टिप्पणी में हाइगा लिख दिया!
सभी हाइकु एवं चित्र अतिसुन्दर!
~सादर
अनिता ललित
By: Anita Lalit on मार्च 18, 2023
at 2:38 पूर्वाह्न
बहुत सुंदर हाइकु, बधाई कमला जी!
By: प्रीति अग्रवाल on मार्च 18, 2023
at 12:00 अपराह्न
बहुत सुंदर हाइकु… बधाई कमला जी!
By: krishnaverma on मार्च 18, 2023
at 11:47 अपराह्न
बहुत सुंदर हाइकु… बधाई कमला जी!
By: krishna verma on मार्च 18, 2023
at 11:48 अपराह्न
बहुत सुंदर हाइकु…बधाई कमला जी।
By: krishna verma on मार्च 18, 2023
at 11:52 अपराह्न
बेहतरीन हाइकु के लिए बधाई स्वीकारें
By: प्रियंका+गुप्ता on मार्च 22, 2023
at 2:35 पूर्वाह्न