डॉ.सुरंगमा यादव
1
उठी उमंग
चहचहाने लगे
भाव- विहंग।
2
सुखद अंत
पतझर दे जाता
रम्य वसंत।
3
पी मकरंद
भ्रमर रच रहा
प्रणय- छंद।
4
प्रेम- कविता
वसंत रचयिता
कुहू गायिका।
5
कहीं प्रार्थना
कहीं प्रेम प्रतीक
सुमन बना।
6
भोर बाँटती
फूलों का उपहार-
किरन- हार!
7
स्मृति- गुलाब
आज भी लगता है
अभी खिला है।
8
भाव विह्वल
सुधियाँ जब आईं
बहा काजल।
-0-
वसंत की छटा बिखेरते सुंदर हाइकु। बधाई सुरंगमा जी।
By: sudershanratnakar on फ़रवरी 4, 2023
at 12:11 पूर्वाह्न
बहुत सुन्दर हाइकु, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
By: भीकम सिंह on फ़रवरी 4, 2023
at 1:10 पूर्वाह्न
बहुत सुन्दर हाइकु…हार्दिक बधाई सुरंगमा जी।
By: krishna verma on फ़रवरी 4, 2023
at 7:03 पूर्वाह्न
उठी उमंग
चहचहाने लगे
भाव -विहंग।
वसंत में प्रेम के रस महकाते हुए हाइकु अच्छे हैं-बधाई।
By: ramesh kumar soni on फ़रवरी 4, 2023
at 1:44 अपराह्न
बहुत सुंदर हाइकु।
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ आदरणीया सुरंगमा जी को।
सादर
By: rashmivibhatripathi on फ़रवरी 4, 2023
at 11:14 अपराह्न
सुंदर हाइकु!
~सादर
अनिता ललित
By: Anita Lalit on फ़रवरी 6, 2023
at 1:23 पूर्वाह्न
उम्दा हाइकु के लिए बधाई
By: प्रियंका+गुप्ता on मार्च 22, 2023
at 2:42 पूर्वाह्न