1-पुरुषोत्तम श्रीवास्तव ‘पुरु’
1
सृष्टि आधार
साकार निराकार
राम अद्वैत।
2
हा! महाज्ञानी
शास्त्रार्थ में था जीता
अहं से हारा।
3
हाय! बुढापा
जिए, पी घूँट- घूँट
उपेक्षा विष।
4
हो कैंची ऐसी
काट सके बुढ़ापा,
अकेलापन।
5
बेटा बीमार
बस एक ही खेत
किसे बचाए?
6
कैसे बताऊँ
कोई शब्द ना ऐसा
दर्द है जैसा।
-0-उपमहानिदेशक (से.नि.),111/191 मध्यम मार्ग, मानसरोवर, जयपुर, राजस्थान, भारत।
purupurujaipur@gmail.com
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बेहतरीन हाइकु, दोनों हाइकुकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
By: भीकम सिंह on अप्रैल 28, 2022
at 5:01 अपराह्न
रमेश कुमार सोनी जी के युद्ध विषयक सभी हाइकु बेहतरीन हैं वहीं पुरुषोत्तम श्रीवास्तव ‘पुरु’ के हाइकुओं में विविधता है।सभी हाइकु सुंदर हैं।दोनो हाइकुकारों को बधाई।
By: शिवजी श्रीवास्तव on अप्रैल 28, 2022
at 9:05 अपराह्न
बहुत सुंदर रचनाएँ। श्रीवास्तव जी और सोनी जी को हार्दिक बधाई।
By: प्रीति अग्रवाल on अप्रैल 29, 2022
at 2:41 अपराह्न
पुरुषोत्तम जी को अच्छे हाइकु के लिए बधाई।
मेरे हाइकु को प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद।
By: ramesh kumar soni on अप्रैल 29, 2022
at 5:26 अपराह्न
बहुत सुंदर हाइकु…दोनों हाइकुकारों को हार्दिक बधाई।
By: krishnaverma on अप्रैल 29, 2022
at 10:55 अपराह्न
पुरुषोत्तम जी और रमेश जी के सभी हाइकु बहुत भावपूर्ण। आप दोनों को हार्दिक बधाई।
By: Dr.Jenny shabnam on अप्रैल 30, 2022
at 1:28 पूर्वाह्न
सुन्दर हाइकु के लिए आप दोनों को बहुत बधाई
By: प्रियंका+गुप्ता on मई 7, 2022
at 2:51 अपराह्न