वर्षाकालीन हाइकु
1-भगवत शरण अग्रवाल
1
कौन– सा राग
टीन की छत पर
बजाती बर्षा।
2
वर्षा की रात
बतियाते मेंढक
चाय पकौड़ी।
3
सावन भादों
दिन देखें न रात
यादों के मेघ।
4
बूँद में समा
सागर और सूर्य
हवा ले उड़ी।
-0-
अर्चन-दीप
2-कमला निखुर्पा
1
अर्चन करूँ
नयन दीप जला
तुम प्रतिमा ।
2
एकाकी जले
मन गर्भगृह में
विरह दीप ।
3
तुलसी चौरा
चुपचाप जलती
मैं वृंदा दीप ।
4
राह दिखाए
बन आकाशदीप
तुम्हारी प्रीत ।
5
मन का दिया
तेरे नेह से भरा
जगमग लौ ।
-0-
कमला जी की कमल कमाल ! !! और
कौन– सा राग
टीन की छत पर
बजाती बर्षा।
डॉ भगवतशडरण अग्रवाल जी का यह हाइकु वर्षा का मधुर संगीतमय चित्रण कर रहा है।
सुनो तो यही लगता है।
आप दोनों को बधाई ।
By: सीमा स्मृति on जुलाई 10, 2015
at 3:24 अपराह्न
अतिसुन्दर भावपूर्ण हाइकु !
सावन भादों
दिन देखें न रात
यादों के मेघ।
तुलसी चौरा
चुपचाप जलती
मैं वृंदा दीप ।
आदरणीय भगवतशरण जी एवं उनकी लेखनी को सादर नमन !
कमला जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !
~सादर
अनिता ललित
By: anita on जुलाई 10, 2015
at 3:25 अपराह्न
वाह….एक से बढ़कर एक सुन्दर हाइकु
By: शिवजी श्रीवास्तव on जुलाई 10, 2015
at 4:07 अपराह्न
sabhi haiku bahut hi achhe likhe hain.badhai.
pushpa mehra.
By: pushpa mehra on जुलाई 10, 2015
at 6:14 अपराह्न
कौन– सा राग
टीन की छत पर
बजाती बर्षा।
मन का दिया
तेरे नेह से भरा
जगमग लौ । bhut utkrisht yh donon vishesh
badhai
By: manju gupta on जुलाई 10, 2015
at 8:05 अपराह्न
एक से बढ़कर एक हाइकु ..
‘सावन भादों ‘,’बूँद में समा’ …बहुत सुन्दर ! आदरणीय डॉ. भगवत शरण अग्रवाल जी के प्रति सादर नमन वंदन !
‘मन का दिया ‘ बेहद ख़ूबसूरत कमला जी ..हार्दिक बधाई ..बहुत शुभकामनाएँ !
By: jyotsna sharma on जुलाई 10, 2015
at 8:35 अपराह्न
भगवत शरण जी और कमला जी आपदोनो के हाइकू मन भावन और सटीक हैं हार्दिक बधाई |
तुलसी चौरा /चुपचाप जलती /मैं वृंदा दीप बहुत पसंद आया |
By: savita agrawal"savi" on जुलाई 10, 2015
at 8:39 अपराह्न
बहुत खूबसूरत हाइकु!
कौन -सा राग, सावन भादों, तुलसी चौरा… बहुत बढ़िया लगे!
आदरणीय भगवतशरण जी, कमला जी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
By: krishna verma on जुलाई 10, 2015
at 11:08 अपराह्न
सभी हाइकू सुन्दर, दोनों रचनाकारों को बधाई,
विशेषकर,
मन गर्भगृह,…
अर्चन करूँ …
By: Dr. Kavita Bhatt, Srinagar, Uttarakhand on जुलाई 13, 2015
at 5:40 अपराह्न
बूँद में समा
सागर और सूर्य
हवा ले उड़ी। बहुत ही सुन्दर हाइकु |
तुलसी चौरा
चुपचाप जलती
मैं वृंदा दीप । प्रभावी हाइकु | आप दोनों को बधाई एवं शुभकामनाएं
By: shashi padha on जुलाई 13, 2015
at 11:01 अपराह्न
सावन भादों
दिन देखें न रात
यादों के मेघ।
eakdam se …bahut bahut badhai…
राह दिखाए
बन आकाशदीप
तुम्हारी प्रीत ।
sundar! bahut-bahut badhai…
By: Dr.Bhawna Kunwar on जुलाई 16, 2015
at 10:21 पूर्वाह्न
वर्षा की रात
बतियाते मेंढक
चाय पकौड़ी।
अद्भुत कल्पना…हार्दिक बधाई…|
राह दिखाए
बन आकाशदीप
तुम्हारी प्रीत ।
बहुत बढ़िया…बधाई…|
By: प्रियंका गुप्ता on सितम्बर 4, 2015
at 2:03 अपराह्न