Posted by: हरदीप कौर संधु | मार्च 31, 2015
मन उपवन में
1-ममता
1
फूल खिले हैं
मन उपवन में
रंग –बिरंगे ।
-0-
2-कशमीरी लाल चावला
1
ढूँढा शहर
भीड़ में गुम हुआ
मिला ना घर ।
-0-
3- शशि पुरवार
1
कड़ी धूप में
जले हैं मेरे पॉंव
दूब का गॉंव
2
ताप पीकर
खिल उठी है दूब
सोनल धूप
3

छाया: कमला निखुर्पा
प्रेम के छंद
मौसमी अनुबंध
फूलों की गंध
4
दर्द की पौड़ी
पहाड़ी भींज रही
आँख निगोड़ी
5
स्वर्ण किरण
रोम रोम निखरे
धरा दुल्हन
-0-
Like this:
पसंद करें लोड हो रहा है...
Related
Mamta ji ka swagat hai …..
ढूँढा शहर
भीड़ में गुम हुआ
मिला ना घर ।
waah ….
By: harkirat heer on मार्च 31, 2015
at 4:00 अपराह्न
Bahut sundar!
By: Amit Agarwal on मार्च 31, 2015
at 4:16 अपराह्न
swaagat mamata ji !
bahut sundar haiku ..sabhi ko badhaaii !
By: ज्योत्स्ना शर्मा on मार्च 31, 2015
at 5:39 अपराह्न
sabhi haiku bahut sunder hain.badhai.
pushpa mehra.
By: pushpamehra on मार्च 31, 2015
at 7:51 अपराह्न
sbhi haiku laajvaab
By: manju gupta on अप्रैल 1, 2015
at 11:22 अपराह्न
mamta ji kashmiri lala ji aur bahan shahi sunder haiku ke liye badhai
rachana
By: rachana on अप्रैल 2, 2015
at 4:43 पूर्वाह्न
वाह! अतिसुन्दर! एक से बढ़कर एक सभी हाइकु !
हार्दिक बधाई …ममता जी, कशमीरी लाल चावला जी एवं शशि जी !
~सादर
अनिता ललित
By: anita on अप्रैल 2, 2015
at 7:43 अपराह्न
Kya bat hai eak se badhkar eak haiku meri hardik badhai…
By: Bhawna on अप्रैल 3, 2015
at 12:12 अपराह्न
मनभावन…बहुत अच्छे…| आप सबको हार्दिक बधाई…|
By: प्रियंका गुप्ता on अप्रैल 3, 2015
at 8:00 अपराह्न