Posted by: हरदीप कौर संधु | जनवरी 4, 2015

कोहरे की चूनर


1-कमला निखुर्पा

1

रात ने बुनी

कोहरे की चूनर

धरा ने ओढ़ी ।

2

आया शिशिर

थर-थर काँपता

माँगे दुशाला ।

3

बैरन बनी

करती छेड़खानी

बर्फीली हवा ।

4

धूप सहेली

लगे है भली-भली

भागी शर्मीली ।

5

जला अलाव

आँच अभी बची क्या

सर्द है रिश्ता ।

-0-

2-सुशीला शिवराण

1

गीत हमारे

शब्द-शब्द में तुम्हीं

मौन पुकारे।

2

तुम्हारी यादें

महकें मेरे ख़्वाब

तन्हा रातों में।

3

चराग़ जले

हँसता रहे तम

उसी के तले।

4

चाँद भी तन्हा

तन्हा रातों के संग

यादों का मेला।

5

लड़ा अकेला

हार गए सौ झूठ

सच न हारा।

6

मन म माना

जोड़े रिश्ते  हज़ार

अंत अकेला।

7

रवि अकेला 

लड़े तम से रोज़

लाए उजाला।

8

 उड़े जो पंछी

 पेड़ हो गया ठूँठ

 रह अकेला।

-0-

3- देवी नागरानी

1

सिले हुए हैं                    

समंदर के होंठ                    

बादल मौन

2

निश्चल नभ            

उन्मुक्त सी पवन               

मुस्काई धूप

3

जीस्त की पोथी

उतने पन्ने खोले

जितनी  साँसें 

4

बुत तराशे                     

पत्थरों के सामने                 

रख आईने ।

5

धूप में खोया                        

कहाँ छाँव में ढूँढे               

अपना साया ।

-0-


प्रतिक्रियाएँ

  1. sbhi haaiku gaagr men sagr bhar rhe haen
    sbhi ko badhaai

  2. बहुत सुन्दर सभी हाइकु…..आप सबको बधाई!

  3. sabhi haiku bahut sunder hain .kamla ji devi nagrani ji va shusheela ji ap sabhi ko badhai.
    pushpa mehra.

  4. बहुत सुन्दर , मोहक हाइकु !
    सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई !

  5. sabhi rachanakaron ko badhaiyan, acche haiku.
    kavita Bhatt

  6. बहुत सुन्दर हाइकू…आप सभी को हार्दिक बधाई…|


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