हाइकु -विचार
जापानी काव्य शैली की छोटी सी कविता ‘हाइकु’ चंद लफ़्जों में बड़ी बात कहने की क्षमता रखती है। हाइकु एक छोटे बीज जैसा होता है। जैसे नन्हें बीज में वृक्ष का स्वरूप और रहस्य छुपा रहता है ,उसी तरह एक हाइकु उस पल के रहस्य को अभिव्यक्त करता है ; जिसने कभी हाइकुकवि को प्रभावित किया होगा। दिन – प्रतिदिन के छोटे-छोटे व्यवहारों को सुन्दर और सार्थक शब्द -लड़ी में पिरोकर जब हाइकुकवि हमारे आगे परोसता है तो हम उस प्रतिपल से आनन्दित हो , वहाँ रुकने के लिए विवश ज़रूर हो जाते हैं। हाइकु हमारी दृष्टि तथा सोच को कभी अम्बर बना देता है। तो कभी मन के चहचाहते पंछियों को उड़ने के लिए नए एवं नाज़ुक पंख लगा देता है।हाइकु हमें अपना परिवेश को ध्यानपूर्वक देखने की रुचि पैदा करता है। हम जिंदगी के सूने रास्तों पर अकेले चलते हुए भी कभी अपने आप को अकेला नहीं पाते ; क्योंकि हम सारी कायनात को अपने साथ लिये जो चल रहे होते हैं। कठिन राहों में बिखरी काली रातों में भी हम टिमटिमाते हुए तारे चुनकर अपनी झोली में भरने की कोशिश में लगे रहते हैं। मैं तो बस इतना ही कहूँगी कि हाइकु हर छोटे नुक़्ते को विशालता प्रदान करता हुआ हाथ में आए सूत्र से पूरे ताने –बाने तक पहुँचने का हमें रास्ता दिखाता है।
– डॉ हरदीप कौर सन्धु
-0-
1-डॉ सुधा गुप्ता
1
मेघा जो झरे
सोखे धरा-कोख ने,
खिले गुलाब ।
2
ठूँठ भी हँसे
चैत की मस्ती देख
कल्ले फाड़के ।
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु
1
अँधेरे कहाँ ?
उजाले बन हम
संग तुम्हारे ।
2
मौन टूटा है
सौरभ का झरना
मानों फूटा है ।
-0-
3-रेखा रोहतगी
1
पीर है बाँझ
जनती नहीं आँसू
जीवन- साँझ ।
2
तुमको पाया
स्वयं को हारकर
जीती कि हारी ।
-0-
4-कमला निखुर्पा
1
युग बीते रे
पर पल ना बीते
हम यूँ मिले |
2
इतने दूर
कि नजर ना आए
फिर भी पास।
-0-
5- डॉ०जेन्नी शबनम
वक़्त की चाश्नी
नसीब की बरनी
ज़िन्दगी मीठी !
2
रूठे जो वक़्त
इंसान निरुपाय
सोच न पाए
-0-
6-डॉ०ज्योत्स्ना शर्मा
1
हाइकु-भाव
ज्यों मन के द्वारे पे
जलता दिया ।
2
हाइकु-धारा
सतत प्रवाहित
अम्लान गंगा ।
-0-
7-अनिता ललित
1
रिश्ते वो सच्चे,
दिल से जो निभते,
बाकी बंधन।
2
साँझ की लाली
आँखों में बसा कर
जागती उषा।
-0-
8-भावना सक्सैना
1
तपती धरा
आषाढ़ दोपहरी
आकुल पंछी ।
2
फैलते रहे
कंक्रीट के जंगल
खो गए वृक्ष ।
-0-
9-मीनाक्षी धन्वन्तरि
1
कजरा मेघ
नभ के नैना सोहें
भूमि को भाएँ ।
2
शब्द भेदते
तीर बन चुभते
भाव मरते ।
–0-
10-पुष्पा मेहरा
1
रुकें न कहीं
ऊँची उड़ान भरें
नन्हे ये हंस।
2
सुधा – सौगात
भेंट की बादलों ने
जी गई धरा।
-0-
11-नमिता राकेश
1
पत्र निकाले
दराज से जब भी
सिसकी यादें ।
2
आँख का आँसू
कब तक रुकेगा
मुसाफिर है ।
-0-
12-डॉ अनिता कपूर
1
सूर्य से डर
देश– विदेश घूमे
चाँद सैलानी ।
2
धूप टुकड़ा
अँधेरे के मेले में
कहीं खो गया
-0-
13-शशि पाधा
1
टूटे सम्बन्ध
बाँधें नेह लड़ियाँ
सुख निर्बंध ।
2
नदी ने कहा-
किनारा चला साथ
रास्ता सुगम |
-0-
14-सुनीता अग्रवाल
1
सूर्य ऐयाश
हर सुबह लाता
जवान आस ।
2
गंध– सुगंघ
जो मिलता ,लौटाती
हवा मासूम ।
-0-
15-गुंजन गर्ग अग्रवाल
1
धुँधले रिश्ते
जल रहे किश्तों में
हुए जो सस्ते ।
2
आया तूफान
बहा ले गया घर
मौन सागर ।
-0-
16-डॉ आरती स्मित
1
ढूँढ़ती नज़र
अजनबी भीड़ में
अपना कोई ।
2
हमारी दोस्ती
भाषा की नहीं चेरी
भाव ही प्यारे ।
-0-
17-डॉ श्याम सुन्दर ‘दीप्ति
1
आस विश्वास
पंख व परवाज़
मंज़िल का क्या !
2
मिलना सच
सहयोग ताकत
जीत हमारी॥
-0-
18-विभा रानी श्रीवास्तव
1
सँजो रखे हैं
इंच– इंच सपने
आस– मंजूषा।
2
भू है उदास
आस मेघ पालकी
हवा कहार।
-0-
19-सविता अग्रवाल ‘सवि’
1
शब्दों से कवि
रच देता कविता
दुखों को पीता
2
उदास डाली
गर्मी से मुरझाई
आया न माली
-0-
20-शशि पुरवार
1
स्वर्ण किरणे
उतरी पनघट
बिखरा सोना ।
2
भागते रहे
कल को ढूँढ़ने में
आज खो दिया ।
-0-
21-मंजु गुप्ता
1
मन की व्यथा
छलका रही पीर
सजल आँखें ।
2
यादों का चाँद
खेले आँख – मिचौली ली
मन नभ पे ।
-0-
22-ज्योत्स्ना प्रदीप
1
देती दिलासा
लता हरे पेड़ की
सूखे तरु को ।
2
ये प्यासे पौधे
करके मुख औँधे
बच्चे -से रूठे।
-0-
23-योगेश्वर दयाल
1
हंसों का जोड़ा
करे अठखेलियाँ
जलें लहरें ।
-0-
छाया :: रामेश्वर काम्बोज
मौन टूटा है
सौरभ का झरना
मानों फूटा है ।
हरदीप जी का सुंदर विवरण और बहुत सुंदर हाइकु …अत्यंत भावप्रबल ॥!!सभी हाइकु बेहतरीन …!!हाइकु के इस आयोजन की आप को व हरदीप जी को भी बहुत बहुत बधाई …!!हम सभी की ये यात्रा सदा मंगलमय हो ,ईश्वर से प्रार्थना है …!!
By: अनुपमा त्रिपाठी on जुलाई 4, 2014
at 12:17 अपराह्न
इतने सुन्दर एवं सारगर्भित हाइकु के पुष्पगुच्छ को देख कर मन सुरभित हो गया | हरदीप जी एवं रामेश्वर जी, आप को इस संकलन के लिए अशेष बधाई |
By: Shashi Padha on जुलाई 4, 2014
at 1:08 अपराह्न
वक़्त की चाश्नी
नसीब की बरनी
ज़िन्दगी मीठी !
जेन्नी जी का हाइकु …बहुत सुंदर लगा …!!
By: अनुपमा त्रिपाठी on जुलाई 4, 2014
at 2:44 अपराह्न
डॉ हरदीप सन्धु और रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ जी, हिन्दी हाइकु विशेषांक के वार्षिक अंक ( चार साल पूरे होने पर) के सुन्दर संयोजन के लिए आप दोनों के प्रयास स्तुत्य हैं। आपके परिश्रम की बदौलत हम भी इस हाइकु यात्रा का लाभ उठा रहे हैं। इस विशेषांक में शामिल सभी रचनाकारों का योगदान प्रशंसनीय है। आप दोनों के साथ सभी को बधाई – ” हाइकु लिखें / जो बरसाते रहें / स्नेह के मेह। “
By: Subhash Lakhera on जुलाई 4, 2014
at 3:37 अपराह्न
डॉ हरदीप सन्धु और रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ जी, हिन्दी हाइकु विशेषांक के चार साल पूरे होने पर आप दोनों को बधाई. इस सुन्दर संयोजन के लिए आप दोनों के प्रयास सराहनीय हैं जिस कारण हम भी इस हाइकु यात्रा का लाभ उठा रहे है. सभी हाइकु हीरे की तरह अलग अलग कोण से अपना प्रभाव छोड़ते हैं.
By: मीनाक्षी on जुलाई 4, 2014
at 4:04 अपराह्न
सभी हाइकु उत्कृष्ट हैं। हमारी तरफ से ‘हिन्दी हाइकु’ परिवार के समस्त हाइकुकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ ! इस परिवार का हिस्सा होने पर हमें प्रसन्नता एवं गर्व का अनुभव हो रहा है। 🙂
‘हिन्दी हाइकु’ सफलता के नित नए आयाम छुए ईश्वर से यही प्रार्थना है। भैया जी…आपके एवं हरदीप जी के श्रम तथा लगन को कोटि-कोटि प्रणाम !
आप दोनों इसी तरह हम सभी की ऊर्जा व शक्ति का स्त्रोत बने रहें, सदा सुख, अच्छे स्वास्थ्य एवं मानसिक शान्ति के अनमोल धन के मालिक रहें ! इन्हीं शुभकामनाओं के साथ-
“फूलों सा खिले
आपके साए तले,
‘हिन्दी हाइकु’ !”
~सादर
अनिता ललित
By: anita on जुलाई 4, 2014
at 4:09 अपराह्न
हरदीप जी एवं रामेश्वर जी, आप को इस संकलन के लिए अशेष बधाई |इस सुन्दर संयोजन के लिए आप दोनों के प्रयास सराहनीय हैं.सभी हाइकु उत्कृष्ट हैं। हमारी तरफ से ‘हिन्दी हाइकु’ परिवार के समस्त हाइकुकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ ! सादर
By: Dr Anita Kapoor on जुलाई 4, 2014
at 4:18 अपराह्न
आदरणीय भाई हिमांशुजी और दीदी हरदीप जी का अंकुरित बीज आज ५ वें वर्ष में हर- भरा हो गया . ‘ हाइकु विशेषांक ‘ के विशाल वट वृक्ष की नेह छाँव में इस साहित्यिक विधा में हम सब को जोड़ कर हाइकु परिवार में शामिल किया , इस महापर्व पर आप सबको और रचनाकारों हार्दिक बधाई .
By: manju gupta on जुलाई 4, 2014
at 5:38 अपराह्न
बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक आलेख। आदरणीय रामेश्वर जी एवं हरदीप जी ने कुछ वर्ष पहले एक शुरुआत की थी हिंदी हाइकू के ब्लॉग के रूप में, एक बीज रोपा था जो आज एक विशाल वृक्ष बन चुका है। मैं हाइकू की विधा से जुड़ी इस का पूरा श्रेय आदरणीय रामेश्वर जी को ही है, उन्होंने मुझ जैसे न जाने कितने और लोगों को इस विधा की बारहखड़ी सिखाई है। उनके इस अथक प्रयास के लिए हार्दिक आभार प्रकट करते हुए कुछ हाइकू …
हिंदी-हाइकू
छोटी शुरुआत थी
बना कारवां
हरदीप जी
औ रामेश्वर जी ने
बीज बोया था
बन गया है
आज विशाल वृक्ष
हिंदी-हाइकू
जोड़ते गए
लोगों को ये दो लोग
देश-विदेश
ईश्वर करें
चलता रहे सदा
यह सफर
रचते रहें
नए नए अध्याय
सदैव यूँ ही
सादर
मंजु
By: Manju Mishra on जुलाई 4, 2014
at 5:41 अपराह्न
हिंदी हाइकु के लिए भाई रामेश्वर जी और बहिन हरदीप जी द्वारा किए गए अथक प्रयास और सफल संयोजन हेतु कोटिश बधाई और शुभकामनाएँ और हिन्दी हाइकु को भी –
सालगिरह
है पाँचवीं तुम्हारी
शुभकामना .
दिन-ब-दिन
हिन्दी हाइकु पुष्प
रहें खिलते …
इसी कामना के साथ
आभार सहित
By: manju mahima on जुलाई 4, 2014
at 5:50 अपराह्न
हरदीप जी और काम्बोज जी आप दोनों को हाइकु के चार वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई |यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि हिंदी हाइकु अपने पांचवे वर्ष में प्रवेश कर चुका है | आपने हाइकुकारों को हाइकु लिखने की कला से अवगत कराया और उनके लिखे हाइकु को इस पत्रिका में छाप कर उन्हें प्रोत्साहित किया कितने ही हाइकुकार एक दुसरे जुड़े इन सभी बातों का श्रेय आप दोनों को ही जाता है |इसी तरह आपदोनो का आशीर्वाद और प्यार बना रहे यही कामना करते है |आप दोनों ही को ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई |
By: savita agrawal "savi" on जुलाई 4, 2014
at 9:04 अपराह्न
बहुत खूबसूरत सभी के हाइकु !
By: savita mishra on जुलाई 4, 2014
at 11:40 अपराह्न
हिन्दी हाइकु के 4 वर्ष पूरे होने पर इस परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई. काम्बोज भाई और हरदीप जी की मेहनत और लगन का परिणाम है जो हाइकु परिवार दिन ब दिन इतना समृद्ध होता जा रहा है. काम्बोज भाई ने सिर्फ मुझे ही नहीं कई रचनाकारों को प्रेरित कर इन विधाओं की जानकारी दी और सदैव लिखने के लिए प्रोत्साहित किया.
सभी हाइकु बहुत सुन्दर है, सभी को बधाई.
By: जेन्नी शबनम on जुलाई 5, 2014
at 12:33 पूर्वाह्न
बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभ कामनायें
By: vibha rani shrivastava on जुलाई 5, 2014
at 12:38 पूर्वाह्न
हिन्दी हाइकु’ परिवार के समस्त हाइकुकारों को हिन्दी हाइकु विशेषांक के चार साल पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई. हार्दिक शुभकामनाएँ, विशेष रूप से डॉ हरदीप सन्धु और भाई साहब ‘हिमांशु’ जी को, आप दोनों के अथक प्रयास के लिए हृदय से आभार …….सादर
By: भावना सक्सैना on जुलाई 5, 2014
at 5:41 पूर्वाह्न
हिन्दी हाइकु के चार वर्ष पूरे होने की आदरणीय हिमांशु जी एवं हरदीप जी को कोटिश बधाई । आप दोनों के सतत प्रयास तथा निस्वार्थ सेवा का ही परिणाम है कि हाइकु परिवार दिन-दुगुनी रात-चौगुनी उन्नति कर रहा है । हिन्दी हाइकु परिवार सदा यूँही फलता-फूलता रहे । सभी हाइकु बेहतरीन आप सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
By: कृष्णा वर्मा on जुलाई 5, 2014
at 2:18 अपराह्न
Tyag-lagan
Parhit-niswarth
Sang-saath le chaley,
Suhrid-jan
Pirote bhav–pushp
Banate ek haar.
Hindi Haiku ke swarnim bhavishya ki kamna karti hoon. Mere haiku ko is pavaan mauke par sthan mila, is hetu bahan Hardeep ji va bhai Kamboj ji ko hridya se dhanayad.
Pushps Mehra
By: pushpamehra on जुलाई 5, 2014
at 5:44 अपराह्न
himanshu ji v hardeep ji ko angin badhaiya …hindi haiku ke chaar varsh poore hone ke liye ..prabhu ka ashirvaad isi tarah bana rahe…aap logo ke niswarth man ki seva unnati ke path par isi tarah prakashit hoti rahe ….sabhi ke haiku khoobsurat lage…badhai aap sabhi ko.
By: jyotsana pradeep on जुलाई 5, 2014
at 5:50 अपराह्न
सभी हाइकुकारों को सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई !
By: सुशीला शिवराण on जुलाई 5, 2014
at 7:33 अपराह्न
नन्हें भाव सुमनों से सजी यह वाटिका स्वयं सुरभित रहे ..जग को महकाए ….
हिंदी हाइकु परिवार को इस अवसर पर हार्दिक बधाई ,बहुत शुभ कामनाएं !!
बहुत आभार के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा
By: ज्योत्स्ना शर्मा on जुलाई 5, 2014
at 10:18 अपराह्न
हाइकू को विश्लेषित करता लेख अत्यंत सारगर्भित और सार्थक है ,डॉ हरदीप संधु जी को ढेरों बधाई ।
इस अंक में प्रेषित सभी हाइकु एक से बढ कर एक हैं ….बहुत सुन्दर रंगीन गुलदस्ता प्रस्तुत किया गया है…पढ़कर मन बहुत हर्षित हुआ ,सभी सम्मानित हाइकुकारों को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं …
डॉ रमा द्विवेदी
By: ramadwivedi on जुलाई 6, 2014
at 2:29 अपराह्न
आप सभी साथियों का हार्दिक आभार ! आपका यह अपनत्व ही हिन्दी हाइकु की शक्ति है।
By: हरदीप कौए सन्धु on जुलाई 7, 2014
at 4:42 पूर्वाह्न
भाई रामेश्वर जी और बहन हरदीप जी के अथक प्रयास से हिंदी हाइकु के पांचवे वर्ष में प्रवेश पर उन दोनों को बहुत बधाई और साधुवाद।
इस की पहली पोस्ट में मेरे हाइकु सम्मिलित करने पर हार्दिक धन्यवाद।
इस पोस्ट में सभी रचनाकारों के हाइकु अत्यंत भाव पूर्ण हैं.
इतने लोगो को एक साथ जोड़ने के लिए आप दोनों बधाई के पात्र हैं
…नमिता राकेश
By: namita rakesh on जुलाई 8, 2014
at 3:54 पूर्वाह्न
जीवन के विविध रंगों की छटा लिए ये सुन्दर हाइकु उपवन अपने आप में बेमिशाल है
सभी रचनाये बेहतरीन … इनके मध्य मेरी रचना को स्थान दे कर मुझे गौरवान्वित करने के लिए कम्बोज भैया एवं हरदीप दी की हार्दिक शुक्रगुजार हूँ | आपके अथक प्रयास से आज हिंदी हाइकू अपनी यात्रा के पांचवे वर्ष में प्रवेश कर चूका | नए नए रचनाकार आपकी प्रेरणा से हाइकू क्षेत्र में सुन्दर योगदान दे रहे है .. ये कारवां यूँही बढ़ता रहे ..
शुभकामनाये
By: sunita agarwal on जुलाई 9, 2014
at 9:27 अपराह्न
इन सुन्दर हाइकु के लिए क्या कहूँ…बस यही शुभकामनाएँ हैं कि आने वाले वर्षों में हिंदी हाइकु यूँ ही निरंतर तरक्की करता रहे…|
आदरणीय काम्बोज जी और हरदीप जी इसके लिए निसंदेह साधुवाद के हकदार है…| उन्हें आभार और बधाई…|
सभी साथी हाइकुकारों को भी हार्दिक बधाई…|
By: प्रियंका गुप्ता on जुलाई 15, 2014
at 5:39 अपराह्न
श्रद्धेय द्वय सम्पादक जी सहित सभी हाइकुकारों को हार्दिक बधाई.
By: नवनीत राय "रुचिर" , सोजत सिटी (राजस्थान) on अक्टूबर 17, 2014
at 2:28 पूर्वाह्न