बहुत सुन्दर, भावपूर्ण हाइकु !
हार्दिक बधाई शैफाली जी!
~सादर
अनिता ललित
By: anita on मार्च 16, 2014 at 3:38 पूर्वाह्न
रचनाओं से सम्बन्धित आपकी सार्थक टिप्पणियों का स्वागत है । ब्लॉग के विषय में कोई जानकारी या सूचना देने या प्राप्त करने के लिए टिप्पणी के स्थान पर पोस्ट न करके इनमें से किसी भी पते पर मेल कर सकते हैं- hindihaiku@ gmail.com अथवा rdkamboj49@gmail.com. जवाब रद्द करें
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ ‘ लघुकथा रत्न’ से सम्मानित-2010
डॉ हरदीप कौर सन्धु ‘हाइकु -रत्न सम्मान’ से सम्मानित-2011
क्या आप भी हाइकु लिखना चाहते हो ?
https://hindihaiku.wordpress.com पर हिन्दी हाइकु पढ़िएगा । कुछ लोग हाइकु के नाम पर सपाटबयानी या एक पंक्ति को तोड़कर तीन
पंक्तियाँ बना दे रहे हैं , जिसमे न छन्द [5+7+5 =17] वर्ण ( मात्राएँ नहीं)] का निर्वाह होता है , न भाव ,विचार या कल्पना का ।कुछ इसे विदेशी/ आयातित कहकर उपेक्षित करना चाहते हैं । ऐसी सोच हमे अग्रगामी न बनाकर प्रतिगामी बनाती है । फिर तो हमें आधुनिक समाज और साहित्य की बहुत-सी कलाओं और विधाओंको दरकिनार करना होगा , जो कभी सम्भव नहीं।साहित्य देश-काल की सीमा में न बँधकर रहा है , न रहेगा ।
हाइकु पढ़ने और लिखने का अभ्यास हमारी संकीर्ण सोच को विशाल बनाता है । हमें ‘ मैं ‘ से ‘ हम ‘ बनाता है । अगर आप भी हाइकु लिखना चाहते हैं तो आपका हार्दिक स्वागत है ।
हमें नीचे दिए गए ई – मेल पर भेजें….
hindihaiku@gmail.com
सधन्यवाद !
डॉ हरदीप सन्धु
रामेश्वर काम्बोज
त्रिवेणी पढ़ने के लिए चित्र को क्लिक कीजिए- ( Click on the image below)
“रात अँधेरी
घिरा घटा में चन्दा
दिये का साथ ।”…..वाह ,.बहुत खूब शैफाली !
By: Dr Saraswati Mathur on मार्च 14, 2014
at 4:05 अपराह्न
सुन्दर भाव पूर्ण हाइकु ..बधाई शैफाली जी !
By: jyotsna sharma on मार्च 14, 2014
at 5:04 अपराह्न
बहुत सुन्दर हाइकु…बधाई…|
By: प्रियंका गुप्ता on मार्च 15, 2014
at 2:25 पूर्वाह्न
bhaavo se bhare haiku …..bahut sundershefali ji……..holi ke bahut saari shubh kaamnaye
By: jyotsana pardeep on मार्च 15, 2014
at 12:52 अपराह्न
shefali ji apake sabhi haiku bhavon se bhare hain. badhai.
pushpa mehra.
By: pushpamehra on मार्च 15, 2014
at 9:09 अपराह्न
बहुत सुन्दर, भावपूर्ण हाइकु !
हार्दिक बधाई शैफाली जी!
~सादर
अनिता ललित
By: anita on मार्च 16, 2014
at 3:38 पूर्वाह्न