शशि पाधा
1.
भेजी थी माँ ने
अनुभवों की गाँठ
2.
बाँधे समेटे
गुड़िया के गहने
सीपी के हार ।
3.
ऊँचे पहाड़
प्रीतम का अंगना
धीर धरना ।
4.
देहरी लाँघी
याद -भरी गठरी
मन में बाँधी ।
5.
जब भी हिला
तुलसी का बिरवा
माँ याद आई ।
6.
क्यों भिजवाई
उपहार- डलिया
तू तो न आई ।
7.
चाँद –सितारे
चुनरिया पे टाँके
ममता जड़े ।
8.
गुनगुनाई
हवाओं ने जो लोरी ,
बेटी मुस्काई ।
9.
संग ही जिया
मासूम बचपन
बड़ा न हुआ ।
10
ये क्या चाहता
बचपन गली में
मन भागता ।
-0-
आपके ये सभी हाइकु एक से बढ़ कर एक ! आपके हाइकु पढ़कर मेरा मन कहने लगा ” वो बचपन / हमेशा रहे संग / भरे उमंग। ” । शशि जी, हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
By: Subhash Lakhera on सितम्बर 28, 2013
at 5:18 अपराह्न
बहुत ही सुंदर हाइकु शशि जी, बधाई आपको और स्नेही हरदीप जी व सहज स्नेही भाई हिमांशु जी को !
By: Dr Saraswati Mathur on सितम्बर 28, 2013
at 7:21 अपराह्न
आपका लेखन अनुपम है दीदी …बहुत सुन्दर हाइकु ….अनुभव और यादों की गाँठ के साथ सहेजे “गुडिया के गहने ” बहुत प्यारे लगे ….तभी तो …
संग ही जिया
मासूम बचपन
बड़ा न हुआ ।…जी चाहता है ..कभी बड़ा न हो यह बचपन …:)…सादर नमन !
By: jyotsna sharma on सितम्बर 28, 2013
at 10:29 अपराह्न
sang hi jiya masoom bachpan bada na hua bahut hi sunder haiku hai.badhai sashi ji.
pushpa mehra.
By: pushpamehra on सितम्बर 28, 2013
at 10:58 अपराह्न
उत्कृष्ट हाइकु .
बधाई .
By: manju gupta on सितम्बर 29, 2013
at 2:25 पूर्वाह्न
इन सुन्दर हाइकू के लिए बहुत बधाई…|
By: प्रियंका गुप्ता on सितम्बर 29, 2013
at 2:26 अपराह्न
भेजी थी माँ ने
अनुभवों की गाँठ
डोली के संग ।
2.
बाँधे समेटे
गुड़िया के गहने
सीपी के हार ।
अनुभवों की गाँठ के साथ बाँधे समेटे गुडिया के गहने … vidaai ki bela me, bhavnaon ka jeevant chitran …. bahut sundar haiku
By: Manju Mishra on अक्टूबर 18, 2013
at 6:09 पूर्वाह्न