1-अशोक सलूजा
1
छलका जाए मेरे
नैनो से नीर ।
2
रातों को मेरे
अश्क बन के मोती
नैनों से गिरे ।
3
सज़ा मिली क्यों
कसूर था क्या मेरा ?
चाह था तुझे !
4
डाकिया आया
पिया सन्देश लाया
चिठ्ठी ये प्यारी ।
-0-
2-महेश कुशवंश
खिड़की पर
गौरैया गुमसुम
टूटा घोसला ।
2
बोला है कागा
आयेगा कोई घर
सूखा है मुँह ।
3
बरछी-छुरे
सड़क पर जान
कुचला मन ।
-0-
आपके दिए प्यार और मान-सम्मान का बहुत-बहुत आभार !
स्वस्थ रहें!
By: ashok saluja on सितम्बर 27, 2013
at 7:48 अपराह्न
अशोक जी और महेश जी के बहुत भावपूर्ण हाइकु …!!
सादर शुभकामनायें ।
By: अनुपमा त्रिपाठी on सितम्बर 27, 2013
at 9:43 अपराह्न
सुंदर प्रस्तुति .
स्वागत के साथ बधाई .
By: manju gupta on सितम्बर 27, 2013
at 10:54 अपराह्न
dakiya aya ,piya sandesh laya, chitthi ye pyari ashok ji bahut hi anubhutiyon se bhara haiku hai .badhai .khidaki par gauraiya gumsum, tuutaa ghosala.mahesh ji bahut sunder haiku hai.badhai.
pushpa mehra.
By: pushpamehra on सितम्बर 27, 2013
at 11:59 अपराह्न
बहुत सुन्दर हाइकु…
डाकिया आया
पिया सन्देश लाया
चिठ्ठी ये प्यारी ।
भावपूर्ण…
खिड़की पर
गौरैया गुमसुम
टूटा घोसला ।
अशोक जी और महेश जी का स्वागत और बधाई.
By: jenny shabnam on सितम्बर 28, 2013
at 2:23 पूर्वाह्न
रातों को मेरे
अश्क बन के मोती
नैनों से गिरे ।
sunder likha hai
बरछी-छुरे
सड़क पर जान
कुचला मन ।
sunder bhav
ashok ji aur mahesh ji bahut bahut svagat hai aur aadono ne bahut hi sunder likha hai
rachana
By: rachana on सितम्बर 28, 2013
at 2:40 पूर्वाह्न
बहुत भाव पूर्ण ,सुन्दर ,सामयिक हाइकु ..’भर आई मैं ‘,डाकिया आया ‘ , ‘गौरैया गुमसुम ‘ बहुत अच्छे लगे ….हार्दिक बधाई दोनों हाइकुकारों को !!
By: jyotsna sharma on अक्टूबर 1, 2013
at 8:30 अपराह्न