1-डॉ सुधा गुप्ता
1
इठला रही
श्वेत गुलदाउदी
केश बिखेरे ।
2
फूलों के खेत
हँस,हाथ हिलाते
पास बुलाते ।
3
होते ही संझा
महक उठती है,
रजनीगंधा ।
4
श्वेत कमल
खिले ताल,घरा पे
श्वेत गुलाब।
5
हर सिंगार
रोए ,उमर भर
पत्तों पे सोए
6
शेफाली हँसी
बगिया जो महकी
मैना चहकी
7
हवा झुलाती
पारिजात झारता
केसरी जादू ।
-0-
2-रचना श्रीवास्तव
1
तेरे आँगन
बो दूँ अपनी ख़ुशी
यही है प्यार ।
2
मेरा दर्द तू
समेटे पलकों पे
यही है प्यार।
3
मेरी चिंता की
खुद से भी पहले
यही है प्यार ।
4
पतझर में
बहार बन छाए
यही है प्यार ।
5
मरुभूमि में
बने प्यासे की बूँद
यही है प्यार ।
6
काँपती लौ
सँभालें जब हाथ
यही है प्यार ।
-0-
बहुत ही सुंदर हाइकु, दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
By: V Gautam on सितम्बर 23, 2013
at 9:41 अपराह्न
सुधा दी के बिंब अत्यंत मोहक हैं । रचना जी को भी सुन्दर सृजन के लिए बधाई !
By: सुशीला श्योराण शील on सितम्बर 23, 2013
at 9:50 अपराह्न
आदरणीयासुधा दीदी जी … आपकी लेखनी से ऐसी ही प्यारी-प्यारी सुगंध फैलती रहे … 🙂
आपको, आपके भावों को व आपकी लेखनी को सादर नमन !
~सादर
आपकी अपनी
अनिता ललित
By: anita on सितम्बर 23, 2013
at 10:59 अपराह्न
रचना जी ..प्यार की बहुत ख़ूबसूरत परिभाषाएँ !:)
हार्दिक बधाई!
By: anita on सितम्बर 23, 2013
at 11:00 अपराह्न
sudha ji ke vibhinn phoolon ki khushboo se bhare aur rachna ji ke pyar ke nanao roopon ko jeete haiku ki nirali hi shobha hai .sunder bhavon ke liye ap dono ko bahut badhai.
pushpa mehra.
By: pushpamehra on सितम्बर 23, 2013
at 11:31 अपराह्न
बहुत ही सुंदर हाइकु ! सुधा जी – रचना जी, दोनों रचनाकारों को सुन्दर सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।
By: Subhash Lakhera on सितम्बर 24, 2013
at 10:10 पूर्वाह्न
बहुत खूबसूरत हाइकु ! सुधा गुप्ता जी, रचना जी हार्दिक बधाई!
By: कृष्णा वर्मा on सितम्बर 24, 2013
at 11:18 पूर्वाह्न
फूलों की सुगंध और प्यार की भीनी बयार से भीगे हाइकु बहुत मन भाये | बधाई सुधा जी एवं रचना |
By: Shashi Padha on सितम्बर 25, 2013
at 11:22 पूर्वाह्न
एक तरफ प्रकृति की बहार तो दूसरी तरफ प्रेम की फुहार… सभी हाइकु बहुत सुन्दर. सुधा जी और रचना जी को बधाई.
By: jenny shabnam on सितम्बर 25, 2013
at 8:59 अपराह्न
bahut khubsurat haiku hai sudha ji ,rachna ji hardik badhai aapko
By: shashi purwar on सितम्बर 26, 2013
at 3:28 पूर्वाह्न
सुधा जी के हाइकू तो हमेशा की तरह अप्रतिम हैं…|
रचना जी के हाइकू में प्यार की सुगंध महसूस होती है…|
आप दोनों को हार्दिक बधाई…|
By: प्रियंका गुप्ता on अक्टूबर 2, 2013
at 1:25 पूर्वाह्न
आदरणीया सुधा दीदी जी की लेखनी मानो स्याही से नहीं प्रकृति के विभिन्न रंगों से भरी हुई हो …. सभी दृश्य साकार होकर अपना प्रभाव छोड़ते हैं। फूलों का मनमोहक रूप, उनकी सुगन्ध व उनका स्वभाव …. प्रकृति पर आधारित उनके हाइकु में बहुत ही सहज ढंग से दृष्टिगोचर होती है। उदाहरणस्वरुप निम्नलिखित हाइकु में गुलदाउदी का रूप, रजनीगंधा की खुश्बू तथा पारिजात का स्वभाव बहुत ही ख़ूबसूरत बन पड़ा है :
गुनगुनी सी धूप में आँखों के आगे गुलदाउदी अपने पूरे मोहक रूप में झूमती हुई प्रतीत होती है-
इठला रही
श्वेत गुलदाउदी
केश बिखेरे
इसी प्रकार ….. शाम के फैलते अंधकार में अचानक से जैसे कोई सुगंध सी घुली महसूस होने लगती है-
होते ही संझा
महक उठती है
रजनीगंधा
अनायास ही झरते हुए, ज़मीन पर बिछे हुए हरसिंगार के फूल आँखों में बिछने से लगते हैं-
हवा झुलाती
पारिजात झारता
केसरी जादू
इतना सजीव चित्रण, इतना मनमोहक रूप … सुधा दीदी जी की क़लम ही खींच सकती है।
~सादर
अनिता ललित
By: anita on दिसम्बर 20, 2013
at 4:45 अपराह्न