1-डॉ श्याम सुन्दर दीप्ति
1
मन – मुटाव
सावन की बारिश
तपता मन ।
2
सावन आए
दिल की ना मानो तो
रूठ ही जाए ।
3
सावन आया
भीगना है मुश्किल
साथ ना तेरा ।
4
बरखा आई
पत्ती-पत्ती है धुली
फूल महके ।
5
सावन आया
मन भी रोया साथ
बँधी यूँ ताल ।
6
सावन आया
मन समझाया
ढाढ़स रख ।
7
प्रीतम आए
बदरा से पहले
मन बरसे ।
-0-
2-अनुपमा त्रिपाठी
1
भीगी पवन
ले आयी है संदेस
भीगा है मन ।
2
मुझे भिगोती
टप टप गिरती
सावन बूँदें ।
3
हरियाली सा
हरसूँ हरा- हरा
मन सावन ।
4
खनक बूँदें
रुनक झुनक सी
खनके मन ।
-0-
सभी हाइकु मनभावन हैं। आप दोनों को बहुत – बहुत शुभकामनाएं !
By: Subhash Lakhera on जुलाई 27, 2013
at 3:09 अपराह्न
उत्कृष्ट
दोनों को बधाई
By: manju gupta on जुलाई 27, 2013
at 6:14 अपराह्न
बहुत सुन्दर हाइकु!
आप दोनों को बधाई!
By: कृष्णा वर्मा on जुलाई 28, 2013
at 9:01 पूर्वाह्न
रीतम आए
बदरा से पहले
मन बरसे ।
khoob kaha hai
खनक बूँदें
रुनक झुनक सी
खनके मन ।
bundon sang man jhumta hi hai
bahut khoob likha aap dono ne
rachana
By: rachana on जुलाई 28, 2013
at 9:06 पूर्वाह्न
barkha ke aane se prakriti ki chaTa vimal ho jaati hai, isi tarah prem ki varsha se man khil uthata hai lekin priya ka vichoh aur praaritik aapdaen dono hi man ko bhigo dete hain. Theek hi kaha hai Deepti ji aapne “sawan aayaa man bhi royaa”.
Anupma ji, daayron ki kara tod kar aage badhna qila fateh karne ki tarah hai. Jeevan ek yudh hai jismein kabhi man ke daayre hote hain toh kabhi samaj ke. Prakriti apni seema ko par kar jaati hai to bhi usse nipatna aasaan nahi hota.
sundar abhivyakti ke liyeaap dono ko bahut bahut badhai.
Pushpa mehra
By: pushpamehra on जुलाई 28, 2013
at 10:45 पूर्वाह्न
बहुत सुंदर… मन को भिगोते हुए हाइकु !
हार्दिक बधाई…. डॉ श्याम सुंदर दीप्ति जी तथा अनुपमा त्रिपाठी जी !
~सादर!!!
By: anita on जुलाई 28, 2013
at 7:30 अपराह्न
सावन को साकार करते मोहक हाइकु ….बहुत बधाई !!
By: jyotsna sharma on अगस्त 1, 2013
at 2:51 अपराह्न
खनक बूँदें
रुनक झुनक सी
खनके मन ।
मधुर संगीत सा मोहक हाइकु । बधाई अनुपमा जी !
प्रीतम आए
बदरा से पहले
मन बरसे ।
हर्ष से भी आँखें बरसती हैं। सुंदर हाइकु । बधाई डॉ श्याम सुन्दर दीप्ति जी !
By: सुशीला श्योराण ’शील’ on अगस्त 3, 2013
at 2:38 पूर्वाह्न