आप सबके स्नेह से सिंचित हाइकु कल अपने तीन वर्ष पूरे करके आज चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। 220 हाइकुकार ,7843 हाइकु,732 पोस्ट, 88 देश, 76172 दर्शक अब तक 80882 पन्नों का अवलोकन कर चुके हैं ।‘हिन्दी -जगत्’ में यह अब तक का सबसे बड़ा काम है। इस आपाधापी वाले समय में हमारी नीति है- ‘सबको आगे बढ़ाओ और खुद भी आगे बढ़ो।’ हमें यह कहने में संकोच नहीं है कि विश्वभर से बहुत सारे नए रचनाकार ऐसे जुड़े हैं , जिन्होंने अपने रचनाकर्म से पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है।‘चन्दनमन ( 2011) और ‘यादों के पाखी’( 2012) संग्रह में विश्वभर के समर्थ रचनाकारों के हाइकु शामिल किए गए हैं । आज की पोस्ट में 74 हाइकुकारों का एक -एक हाइकु दिया गया है । ये हाइकु 4 जुलाई 2012 -3 जुलाई 2013 की अवधि में हिन्दी हाइकु पर प्रकाशित किए गए हैं।
इस अवसर पर हम उदन्ती , हिन्दी चेतना,डेली न्यूज़,विधान केसरी, अभिनव इमरोज़, लोक गंगा ,नूतन भाषा भारती, अप्रतिम , वीणा , लेखनी डॉट नेट, गर्भनाल आदि के सम्पादकों के भी आभारी हैं, जिन्होंने इस विधा को सम्मानजनक ढंग से आगे बढ़ाया है।
सबको आत्मीय अभिवादन के साथ
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’; डॉ हरदीप सन्धु
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1-डॉ भगवतशरण अग्रवाल
टहुके मोर
याद आ गया कौन
इतनी भोर ?
-0-
2-डॉ सुधा गुप्ता
शरद पूनो
पीली पड़ी बेचारी
गर्द की मारी ।
-0-
3-डॉ भावना कुँअर
1
छलक गई
चाँद की गागर से
धुली चाँदनी।
-0-
4-कमला निखुर्पा
1
हैं तो तुम्हारी
बस मुझको प्यारी
सुधियाँ सारी ।
-0-
5-डॉ अनीता कपूर
यादों के फंदे
उधेड़ने की जिद
पर हारी मैं ।
-0-
6-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
पत्ता जो गिरा
मुस्कुराकर कहे-
फिर आऊँगा।
-0-
7-डॉ.सुधा ओम ढींगरा
परदेस में
रोए जब भी बेटी
माँ आँखें पोंछे।
-0-
8-रचना श्रीवास्तव
माँ ने बुना था
जब फंदों में प्यार
ठंड लजाई ।
-0-
9-पुष्पा मेहरा
भीड़ में चली
बटोरती गई मौन
एकाकी हूँ मैं ।
-0-
10-भावना सक्सेना
सर्द हवाएँ
गुम हुआ सूरज
आ मिल ढूँढें ।
-0-
11-प्रो दविन्दर कौ सिद्धू
चाँद चढ़ा है
अम्बर के आँगन
अम्मा काते रे !
-0-
12-ऋता शेखर ‘मधु‘
चुप्पी -दीवार
खड़ी हो गई ऊँची
लाँघी न जाए ।
-0-
13-मंजु मिश्रा
भीगी -सी रात
ठिठुरती सुबह
काँपते गात ।
-0-
14-मीनाक्षी जिजीविषा
सत्ता डोलेगी
जब गूँगी जनता
मुँह खोलेगी !
-0-
15-मीनाक्षी धन्वन्तरि
विश्वास मुझे –
जन्मों -जन्मों का नाता
मिलना ही है ।
-0-
16-मंजुल भटनागर
मौन प्रणय
पारस बन जाता
दिव्यता पाता ।
-0-
17-राजीव गोयल
जले अंगारे
दहकता पलाश
आग लगाए ।
-0-
18-रामस्वरूप मूँदड़ा
टूटी चौपाल
गए बैकुण्ठधाम
वे संगी -साथी ।
-0-
19-रामेश्वर काम्बोज ’हिमांशु‘
भोर के होंठ
खुले ,तो ऐसा लगा-
तुम मुस्काए।
-0-
20-शशि पुरवार
स्नेह – बंधन
फूलो से महकते
हरसिंगार ।
-0-
21-हरे राम समीप
हे प्रभु !आज
मेरे घर फाक़े हैं
कोई न आए !
-0-
22-वरिन्दरजीत सिंह बराड़
ढूँढ़े किनारा
आज है बेसहारा
मन बेचारा ।
23-सुप्रीत कौर सन्धु
उगा सूरज
जीवंत कुदरत
फूल खिले हैं
-0-
24-हरकीरत ‘हीर‘
आँखों में बसी
इक आग इश्क की
प्यार ये कैसा ?
-0-
25-वीरबाला काम्बोज
मन की नदी
भाव-भरी उफ़नी
बरसें नैन ।
-0-
26-शैफाली गुप्ता
यादें निष्ठुर
आएँ बिन बुलाए
कहाँ हो तुम !
-0-
27-सुनीता अग्रवाल
आया फाल्गुन
दहकते पलाश
मन -कानन ।
-0-
28-सुमिता बूरा
स्वप्न टूटे तो
क्या हुआ हे मनवा
जियो हर्ष से ।
-0-
29–वंशस्थ गौतम
घोर अँधेरा
सूरज घबराया
नहीं आराम ।
-0-
30-देवी नागरानी
ये ज़र्द पते
खिजां की आहट से
बिदा हो गए ।
-0-
31- कृष्णा वर्मा
दो पीत पात
थामे डाली का हाथ
जीने की आस।
-0-
32 –नरेन्द्र व्यास
दीठ से परे
जलता वो निस्संग
पथ का दिया ।
-0-
33-अरुण कुमार रुहेला
1
सूना है मन
आँगन जो प्यारा था
बना है वन ।
-0-
34-उमा घिल्डियाल
1
मिट्टी की गन्ध
भूलते जा रहे हैं
सीमन्त मार्ग ।
-0-
35-उर्मि चक्रवर्ती
चाँद का रूप
तलाशती अँखियाँ,
बरस पड़ीं।
36-डॉ श्याम सुन्दर ‘दीप्ति’
चुप तोड़ दे
सभी रिश्तों के तार
बिखरे प्यार ।
37-सुदर्शन रत्नाकर
ओस की बूँदें
ठंडी हवा का स्पर्श
मचला मन ।
हिन्दी हाइकु
फले फूले सदैव
यही कामना
By: Dr. anita Kapoor on जुलाई 4, 2013
at 6:28 पूर्वाह्न
हिन्दी हाइकु के सफलतापूर्वक चार वर्ष पूरे होने पर
आदरणीय हिमांशु जी, हरदीप जी और पूरे हाइकु
परिवार के सभी सदस्यों को मेरी हार्दिक बधाई एवं
समस्त शुभकामनाएं।
By: कृष्णा वर्मा on जुलाई 4, 2013
at 6:29 पूर्वाह्न
chaah yeh man kii, padaarpan chauthi seedhi mein
badhata jaaye pag, badhate hi jaaen saathi beshumaar
varsh gaanth ki anekaa anek shubh kaamnaeny
Haiku parivaar ko haardik badhaai
pushpa mehra
By: pushpamehra on जुलाई 4, 2013
at 11:12 पूर्वाह्न
हिंदी हाइकु की चौथी वर्षगाँठ पर आदरणीय काम्बोज जी और हरदीप जी के साथ-साथ सारे साथी हाइकुकारों को हार्दिक बधाई…|
By: प्रियंका गुप्ता on जुलाई 4, 2013
at 12:52 अपराह्न
वाह …! बहुत बहुत बधाई आदरणीय कम्बोज जी एवं हरदीप जी …. ….!!
By: हरकीरत 'हीर' on जुलाई 4, 2013
at 1:34 अपराह्न
धन्यवाद,
By: sonvadra on जुलाई 4, 2013
at 2:52 अपराह्न
आदरणीय काम्बोज जी और हरदीप जी
सादर अभिनंदन .
सर्वप्रथम मेरी आप दोनों को हार्दिक बधाई कि हिंदी हाइकु आज अपनी चौथी वर्षगांठ मना रहा है .
आप दोनों का अथक प्रयास और समर्पण पूरे संसार के साहित्याकाश सूरज – चाँद बन धरा को रोशन कर रहा है .
By: manju gupta on जुलाई 4, 2013
at 4:54 अपराह्न
आदरणीय संधु जी एवं काम्बोज जी .. हार्दिक शुभकामनाये ,हमारा यह परिवार खूब फले और फूले यही कामना है .
भीनी खुशबू
सजी गुलदस्ते में
खिले हाइकु .
समेटे प्यार
फूलों सा उपहार
हिंदी हाइकु ………… बहुत बहुत बधाई काम्बोज जी और संधु जी को .
By: shashi purwar on जुलाई 4, 2013
at 5:11 अपराह्न
बूंद हाइकु
अविरल कविता
सागर हुई …..इस सुन्दर अवसर पर समस्त हिन्दी हाइकु परिवार को मेरी हार्दिक शुभ कामनाएँ…निसंदेह आ भाई कम्बोज जी एवं बहन हरदीप जी इस सफल प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई के पात्र हैं !!
By: jyotsna sharma on जुलाई 4, 2013
at 10:02 अपराह्न
कड़ी से कड़ी
जुड़े शब्दों के साथी
हाइकु सजे ।
-शील
’हिन्दी हाइकु’ और सभी रचनाकारों को श्रेष्ठ हाइकु के मोती सजाने के लिए बधाई !
By: सुशीला श्योराण ’शील’ on जुलाई 5, 2013
at 12:14 पूर्वाह्न
अत्यंत हर्ष का विषय है कि हिन्दी हाइकु अपनी तीसरी वर्ष गाँठ मना रहा है …यह सब आदरणीय हिमांशु जी और डॉ . हरदीप कौर संधु के परिश्रम से ही संभव हुआ है ..आप दोनों को बहुत -बहुत बधाई और हमारी शुभकामनाएँ एवं हाइकु परिवार से जुड़े सभी रचनाकारों को भी बधाई …मुझे गर्व है कि मैं इस परिवार का हिस्सा हूँ ..एक हाइकु इस परिवार के सम्मान में –
अनूठे रंग
फूलों का गुलदस्ता
हिन्दी हाइकु
By: ramadwivedi on जुलाई 5, 2013
at 2:26 पूर्वाह्न
‘हिंदी हाइकु’ के तीसरी वर्षगाँठ पर सभी हाइकुकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ! इस हाइकु परिवार में मुझे भी सम्मिलित करने के लिए काम्बोज भाई और हरदीप जी का तहेदिल से धन्यवाद !
By: Dr. Jenny Shabnam on जुलाई 5, 2013
at 4:17 पूर्वाह्न
फैले सुगंध
हाइकु की बगिया
पुष्पित रहे|
वर्षगा़ठ की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई…बहुत बहुत आभार मुझे यहाँ पर स्थान देने के लिए…हाइकु परिवार सदा हँसता मुस्सकुराता रहे|
By: ऋता शेखर 'मधु' on जुलाई 5, 2013
at 6:39 पूर्वाह्न
इतने सुंदर फूलों के गुलदस्ते से सजे ये सभी हाइकु… मन को महका गये!
हिमांशु भैया जी तथा हरदीप जी… आप दोनों की मेहनत का रंग कितना खूबसूरत है!
आपको तथा सभी हाइकुकारों को बहुत-बहुत बधाई व अनेकों शुभकामनाओं सहित!
“खिलता रहे
हाइकु गुलदस्ता
महके सदा!” 🙂
~सादर
अनिता ललित!
By: anita on जुलाई 5, 2013
at 3:17 अपराह्न
हिन्दी हाइकु के तीन वर्ष पूरे होने पर आदरणीय हिमांशु जी, हरदीप जी और हाइकु परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं –
मिले आकाश
सार्थक हो जीवन
अभिनंदन।
सादर,,
भावना
By: भावना सक्सैना on जुलाई 7, 2013
at 2:59 पूर्वाह्न
आप सबका स्नेह और सहयोग ही हमारी शक्ति है। सबका बहुत -बहुत आभार !
By: डॉ. हरदीप संधु on जुलाई 7, 2013
at 2:14 अपराह्न
आदरणीय काम्बोज जी अय्र डॉ संधु जी … आपने जिस लगन ओर समर्पण से हिन्दी हायकु को इस उचाई पर पहुचाया वो सराहनीय है .. नये रचनाकारो क उत्साह बढाया .. आपको एवं परिवार के सभी सद्स्यो को हार्दिक शुभकामनाये ः)
By: Sunita Agrawal on जुलाई 7, 2013
at 6:20 अपराह्न
बहुत बहुत बधाई हिंदी हाइकू को इस उपलब्धि के लिए आपके प्रोत्साहन से कैन नवोदित हाइकुकारो का उत्साहवर्धन हुआ हैं आपके कार्य की जितनी प्रशंसा की जाए कम हैं एक बार पुनः बहुत बहुत बधाई अवम मेरी शुभकामनाये
By: jitendrasinghkrishnawat on जुलाई 10, 2013
at 4:42 पूर्वाह्न
प्रणाम, हाइकु के मेरे पहले गुरु आदरणीय उमेश धवन जी ने हिंदी हाइकु का पता बताया था.. और आज ३३ नंबर पर अपनी रचना देख कर बहुत अच्छा लगा.. !
सालो साल हिंदी हाइकु का ये परिवार बढता रहे..और हाइकु विधा विश्व में शांति, भाईचारे का प्रतीक बन और फले फूले !
जन्मदिवस ही हार्दिक शुभकानाएं.. !
By: Arun Singh Ruhela on जुलाई 16, 2013
at 6:33 पूर्वाह्न