1-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
प्रचण्ड मेघ
लपलपाती जीभ
ग्रसे जीवन ।
2
तोड़े पहाड़
क़त्ल की हरियाली
जागा विनाश ।
3
लोभ करैत
डँसता रहा तट
बिन आहट ।
4
पेड़ निष्प्राण
सीमेण्ट के जंगल
उगे कुरूप ।
5
नदियाँ मरी
रोज़ गन्दगी भरी
किया है पाप ।
6
निर्मलजला
हो गई रेत -रेत
पाप जो धोए ।
7
पेड़ों का मोल ?
ये धरती के प्राण
जीवों के मीत ।
8
जंगल कटे
जीवन के खाते से
प्राण भी घटे ।
9
पंछी के घर
उजाड़े दिन- रात
खुद उजड़े ।
-0-
2-पुष्पा मेहरा
1
आएगा – साथी
बाँटेगा सुख साथ
हर्षित-आशा ।
2
चपला संग
बरसे धुआँधार
क्रोधित भैया ।
3
आ मँडराया
ढाला अथाह जल
सिंधु जलद ।
4
फेरता पानी
सरस उम्मीदों पे
विनाश-बीज ।
5
असह्य बोझ
दे गया माँ- धरा को
भूला सत्कर्म ।
6
विनाश- बम
कटि बाँध आया था
आतंकी वह ।
7
ताव “जेठ” का
मंज़र तबाही का
बना तो जाना ।
8
कई आवाज़ें
खो गईं अँधेरे में
कहाँ मैं खोजूँ !
-0-
तोड़े पहाड़
क़त्ल की हरियाली
जागा विनाश ।
जंगल कटे
जीवन के खाते से
प्राण भी घटे ।
बहुत बढ़िया अर्थपूर्ण हाइकु…हार्दिक बधाई!
विनाश- बम
कटि बाँध आया था
आतंकी वह ।
बहुत सुन्दर हाइकु…हार्दिक बधाई!
By: कृष्णा वर्मा on जून 24, 2013
at 1:26 अपराह्न
पर्यावरण विनाश का सच , बहुत बढ़िया रचनाएँ . बधाई .
By: manju gupta on जून 24, 2013
at 4:45 अपराह्न
Prakriti vinaash se utpann paristhityon ka varnan karte hue bahut hi sundar haiku, bhaiji aapko bahut badhaai
pushpaa mehra
By: pushpamehra on जून 24, 2013
at 5:51 अपराह्न
बहुत अर्थपूर्ण हाइकु…सुन्दर हाइकु…हार्दिक बधाई!
By: Dr. Saraswati Mathur on जून 24, 2013
at 11:47 अपराह्न
Meghon ka yah prachand roop, prakriti ki yah vinash leela dekh kar hi shayad thoda badlav aaye jan manas kii soch me, aur apna dambh bhool kar iski satta ko hriday se sweekar kare, iske sath chhed-chhad band kar de.
Prabhu se yahi prarthna hai ki ab kshama karen …. aur sab theek kar den.
By: Manju Mishra on जून 25, 2013
at 5:17 पूर्वाह्न
पंछी के घर
उजाड़े दिन- रात
खुद उजड़े ।
कई आवाज़ें
खो गईं अँधेरे में
कहाँ मैं खोजूँ !
बहुत गहरे और सुन्दर हाइकु…
हार्दिक बधाई!
By: Arun Singh Ruhela on जून 26, 2013
at 8:50 अपराह्न
kamboj ji aapke sabhi haiku behad sundar lage kai naye prayog ,gahare jajbaat , badhai aapko
pushpa ji aapke bhi haiku sabhi sundar hai hardik badhai aapko
By: shashi purwar on जून 27, 2013
at 3:45 पूर्वाह्न
krishna verma ji,manju mishra ji,arun singh ruhela ji, manjuguptaji,,saraswati mathurji aur shashi purwar ji,
aap sab ko haiku pasand aaye. haardik dhanyvaad
pushpa mehra
By: pushpamehra on जून 27, 2013
at 11:58 अपराह्न
कई आवाज़ें
खो गईं अँधेरे में
कहाँ मैं खोजूँ !सुन्दर अभिव्यक्ति…सभी हाइकु ह्रदयस्पर्शी.
By: Ghanshyam Nath Kachhawa on जून 28, 2013
at 1:04 पूर्वाह्न
दिल को छू लेने वाले मार्मिक हाइकु…प्रकृति की विनाशलीला जैसे साकार हो गयी…|
By: प्रियंका गुप्ता on जुलाई 4, 2013
at 11:54 अपराह्न