भावना सक्सेना
1
कोहरे की चादर
धुआँ धुआँ -सी
2
दुबके पंछी
ले नीड़ संरक्षण
सूर्य -प्रतीक्षा ।
3
सर्द हवाएँ
गुम हुआ सूरज
आ मिल ढूँढें ।
4
पा नेह -ऊष्मा
पिघल उठे मन
सर्द हवा में ।
5
आया न सूर्य
सब गुमसुम- से
ठंड के मारे ।
6
भीषण ठण्ड
अस्त व्यस्त जीवन
शीत लहर ।
7
लदते जाते
कपड़े तन पर
मन बंजारा ।
8
काँपता भोला
सिमटती बुधिया
शीत -कहर ।
9
टूटा छप्पर
कम्बल न रज़ाई
निर्धन कुटी ।
10
पाए निर्धन
कुछ पल जीवन
सूर्य -दर्शन।
चाय की प्याली
दहकते अलाव
मददगार ।
-0-
( सभी चित्र गूगल से साभार)
पा नेह -ऊष्मा
पिघल उठे मन
सर्द हवा में।
बहुत सुन्दर हाइकु भावना जी बधाई।
By: कृष्णा वर्मा on दिसम्बर 29, 2012
at 9:10 पूर्वाह्न
पाए निर्धन
कुछ पल जीवन
सूर्य -दर्शन।
बहुत सुन्दर भावना जी । बहुत बहुत बधाई
By: सीमा स्मृति on दिसम्बर 29, 2012
at 4:04 अपराह्न
शीत ऋतु के सुंदर हाइकु !
By: सुशीला श्योराण ’शील’ on दिसम्बर 29, 2012
at 9:31 अपराह्न
सभी हाइकु बहुत कंपकपी लिए हुए… ! बहुत सुंदर चित्रण भावना सक्सेना जी !
~सादर !!!
By: anita on दिसम्बर 30, 2012
at 10:21 अपराह्न
बहुत सुंदर हाइकु भावना जी
लदते जाते
कपड़े तन पर
मन बंजारा ।…..सुंदर….wah!
By: Dr Saraswati Mathur on दिसम्बर 31, 2012
at 12:17 पूर्वाह्न
पा नेह -ऊष्मा
पिघल उठे मन
सर्द हवा में ।…बहुत सुन्दर …बहुत बधाई !
By: ज्योत्स्ना शर्मा on दिसम्बर 31, 2012
at 9:47 अपराह्न