Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | सितम्बर 27, 2012
एक प्यारी-सी बेटी
जीवन में बेटियों का महत्त्व निर्विवाद है । बिना बेटियों के घर सूना लगता है । सुशीला जी के भाव कुछ हाइकु के माध्यम से प्रस्तुत हैं । हमारी एक और बेटी जो अपने हाइकु से अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराती थी , कुछ दिनों से नज़र नहीं आई थी । वही बेटी सुप्रीत कौर सन्धु आज अपने दो नए हाइकु के साथ फिर हमारे बीच में है । – रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1-सुशीला श्योराण
1
मेरी चिरैया
मिलना इस जन्म
वधू-रूप में !
2
तेरे आने से
महके घर-द्वार
खिलेंगे मन !
3
जोहूँ मैं बाट
दो बेटियों के ठाठ
होंगे अँगना !
4
क्यों प्यारी बेटी
’बहू’ बन दबती
रहे घुटती ?
5
छोटी ज़िंदगी
भर दें खुशियों से
हम सबकी !
-0-
सुप्रीत कौर सन्धु ( आयु 13 वर्ष )
1 .
ईद का दिन
बाजारों मे रौनक
खुशी के मेले
2
पढ़ नमाज़
हाथ उठा खुदा से
माँगते दुआ
**********
आज गूगल अपना 14 वां जन्मदिन मना रहा है | इंटरनेट के इस सर्च इंजन के बारे में हम सभी जानते ही हैं कि कैसे ये हमारी जिंदगी का एक अटूट हिस्सा बना गया है | हिंदी हाइकु मंच आज गूगल को हाइकु रूप में बधाई दे रहा है |

1.
दिन सुहाना
देखो जश्न मनाता
गूगल काका
2.
नन्ही सी उम्र
बन बैठा बच्चों का
गूगल बाप
3.
जरूरत न
पूछने बताने की
करो गूगल
डॉ हरदीप कौर सन्धु
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तेरे आने से
महके घर-द्वार
खिलेंगे मन !
जोहूँ मैं बाट
दो बेटियों के ठाठ
होंगे अँगना !
काश! बेटियों के प्रति सभी के इतने सुन्दर विचार होते।
सुशीला जी बहुत बधाई।
सुप्रीत जी के दोनो हाइकु बहुत सुन्दर…बधाई।
By: कृष्णा वर्मा on सितम्बर 27, 2012
at 5:32 पूर्वाह्न
bahut sundar haiku badhai
aur aapki pyari beti ko dher sari shubhkamnaye
By: shashi on सितम्बर 27, 2012
at 4:24 अपराह्न
बेटियाँ हर रूप में, हर तरह से अच्छी होती हैं, पर काश! हमारा भारतीय समाज इस सच को स्वीकार करना सीख जाए…। प्यारे से हाइकुओं के लिए सुशीला जी को बधाई और नन्हीं सुप्रीत की कलम का जादू इतने दिन बाद देख कर मन प्रसन्न हो गया…।
By: प्रियंका गुप्ता on सितम्बर 27, 2012
at 9:38 अपराह्न
क्यों प्यारी बेटी
’बहू’ बन दबती
रहे घुटती ?
kitna sahi kadua sach hai
betiya sada hi dil ke karib hoti hain
पढ़ नमाज़
हाथ उठा खुदा से
माँगते दुआ
chhoti si umr me sunder lekhan beta sada hi likhti rahna aur hamesha kuch rahna
sneh
rachana
By: rachana on सितम्बर 28, 2012
at 4:35 पूर्वाह्न
बेटियाँ अपने आचरण से आँखों का नूर बनी हैं …लेकिन …बहुओं के प्रति सुशीला जी की भावनाएं प्रशंसनीय हैं …भाव और अभिव्यक्ति बेहद खूबसूरत ….बधाई ..बहुत शुभ कामनाएं !!
प्रिय सुप्रीत जी के दोनों हाइकु बहुत सुन्दर ….पाक दुआ जैसे …उन्हें भी शुभ कामनाएं …शुभाशीष …गूगल को हरदीप जी के साथ हमारी भी बधाई !!
By: ज्योत्स्ना शर्मा on सितम्बर 28, 2012
at 8:39 अपराह्न