9 -डॉ हरदीप के हाइकु
1. दीवाली पर्व
प्रकाश की विजय
अँधेरे पर ।
2. तारे गगन
दीपक हैं जलते
धरती पर ।
3. अँधेरी रात
जगमग आँगन
दीये की लौ से ।
4. दीपक जलें
धरा और चेहरे
रंग बिखरे ।
5. कार्तिक रात
रौशन व उज्ज्वल
पूर्णिमा जैसी ।
6. दीप जलाएँ
जुगनू से चमके
हर आँगन ।
7. चेहरा तेरा
हर्षक फुलझड़ी
करे उजाला ।
-0-
10-रचना श्रीवास्तव के हाइकु
1-तुम्हारी याद
चौखट दीप धरूँ
दिवाली -रात
2-वो घर आएँ
नयन -दीप जलें
दिवाली रात
3-दिवाली -रात
धरा पर बिखरे
उम्मीद -तारे
4-बेबस पिता
त्यौहार का मौसम
वेतन दूर
5-मुन्ना निहारे
हाथ लिये अठन्नी
सजी दुकान
6-घमंडी चाँद
रात में न निकला
दिया मुस्काया
7-खड़ा अकेला
सीमा पर सैनिक
तभी दिवाली
8-दिवाली -भोज
जूठे पत्तल चाटें
वो और कुत्ते
9-झोपडी छोड़
लक्ष्मी धरे आसन
ऊँचे आँगन
-0-
11- सुनील गज्जानी
दीपक बुझे
रे मानव तन के
ये दिवाली है !
-0-
12-पुष्पा जमुआर, पटना
दीप -पर्व है
हर वर्ग में आज
उल्लास छाया ।
(‘वक़्त के साथ-साथ’-हाइकु संग्रह से)
-0-
13-डॉ सतीशराज पुष्करणा, पटना
1- रौशन हुए
मकाँ को जब देखा-
लगा घर है ।
2- जलता तो हूँ
रौशनी को ,जलने
न देते लोग ।
3- कोठी रौशन
है तो क्या , कुटिया में
दीप तो जले ।
4- अँधेरा दूर
न हो , उसका गर्व
तोड़ता दीया ।
5- जलना पड़ा
पर निगल लिया
अन्धकार को ।
( ‘बूँद- बूँद रोशनी’-हाइकु संग्रह से)
6-दिवाली हुई
जिस रात उजाला
मन में हुआ ।
7-दीपों से नहीं
ज्ञान के प्रकाश से
होती दिवाली ।
8-दिवाली पर्व
भूखा जो कोई सोया
प्रकाश रोया ।
9-मन में तम
कैसे कोई मनाए
दिवाली-पर्व ।
10-दीपावली है
तम से प्रकाश में
जाने का नाम ।
11-कैसी दिवाली ?
बाहर उजाला है
मन अँधेरा ।
12-मिली है जब
अँधेरे पे विजय
दिवाली हुई ।
13-समय पर
रात बीत जाएगी
धैर्य बनाएँ।
14-दीपों का पर्व
सिर्फ़ नहीं दिवाली
संस्कार भी है ।
15-दीप से घर
ज्ञान से सारा जग
रौशन होता ।
-0-
सभी हाइकु विशेषांक 1 एवम् 2 समान रूप से अच्छे हैं. दीवाली के अवसर पर सभी हाइकू पढ़ना पूरी दीवाली मनाने के समान ही है.
उमेश
By: उमेश मोहन धवन on नवम्बर 7, 2010
at 1:33 पूर्वाह्न
हाइकु जैसी लघु विधा में संवेदनाओं का संसार समेट लेने की कला रचना श्रीवास्तव की हाइकु रचनाओं में मिली हार्दिक बधाई !हिंदी हाइकु को इस चुनाव के लिए धन्यवाद |
By: SURESH YADAV on नवम्बर 8, 2010
at 1:33 पूर्वाह्न
aap ka dhnyavad .aap ke shabd likhne ki prerna dete hain .
asha hai aap ke sneh shbd aese hi milte rahenge
saader
rachana
By: rachaa on नवम्बर 9, 2010
at 6:35 पूर्वाह्न
sir ,
pranam !
achcha laga ki aap ne mujhe sthan pradan kiya
aabhar.
saadar !
By: sunil gajjani on नवम्बर 9, 2010
at 9:11 अपराह्न
दिवाली के हाइकू आसमान में झिलमिलाते तारों के समान सुन्दर अनुभूतियों के प्रकाश-पुंज लगे!
आपके ब्लॉग पर आना सार्थक हुआ!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
By: gyanchand marmagya on नवम्बर 9, 2010
at 9:43 अपराह्न
सभी हाइकु बहुत अच्छे लगे। हरदीप जी और रचना जी को पडःाना तो हमेशा अच्छा लगता है बाकी सब को पहली बार पढा। सब ने कमाल के हाइकु लिखे हैं धन्यवाद।
By: nirmla.kapila on नवम्बर 15, 2010
at 3:10 अपराह्न
दीपक बुझे
रे मानव तन के
ये दिवाली है !
bhaut hi antarman ki gahraaiyion ko choota hua.
By: Devi Nangrani on नवम्बर 16, 2010
at 11:45 पूर्वाह्न
ye aap ka baddapn hai ki aap aesa kahrahin hai.aap ke sneh ka bahut bahut dhnyavad
saader
rachana
By: rachana on नवम्बर 20, 2010
at 1:15 पूर्वाह्न