Posted by: हरदीप कौर संधु | अक्टूबर 23, 2014

तारों का बाग़


दीपावली1-अनिता ललित

1

चलो जलाएँ

बूढ़ी ,सूनी आँखों में

आस के दीप।

2

साथ तुम्हारा

जीवन सँवारता

करे उजाला।

3

तुम जो आए

अँधेरे जीवन में

रौशनी लाए।

4

आओ सजाएँ !

जीवन की रंगोली

नेह-रंग से।

-0-

2- जेन्नी शबनम

1.

तारों के गुच्छे

ज़मीं पे छितराए

मन लुभाए !

2.

बिजली जली

दीपों का दम टूटा

दिवाली सजी !

3.

तारों का बाग़

धरती पे बिखरा

आज की रात !

4

दीप जलाओ

प्रेम प्यार की रीत

जी में बसाओ !

5

प्रदीप्त दीया

मन का अमावस्या

भगा न सका !

6

रात ने ओढ़ा

आसमां का काजल

दिवाली रात !

7

आतिशबाजी

जुगनुओं की रैली

तम बेचारा !

8

भगा न पाई

दुनिया की दीवाली

मन का तम !

9

दीप जलाओ

प्रेम प्यार की रीत

जी में बसाओ !

 -0-

3-गुंजन अग्रवाल

1

जी भर जिया

बुझने से पहले

नन्हा- सा दीया ।

2

नेह की बाती

अँधेरे को समेट

बाहें फैलाती ।

3

फैला प्रकाश

कुम्हार का सृजन

नन्हा -सा सूर्य ।

4

दूर अपने

रूठे –रूठे त्योहार

देखें सपने ।

-0-

4-डा.सुरेन्द्र वर्मा  

1

फूटी किरणें

स्नेह भरे दीपों की

फूटे अनार ।

2

खुशियाँ लाई

यह अमां की रात

जगमगाई

3

स्नेह उड़ेलो

स्वयं ही बनो दीप

उजियारा दो

4

दीप ने कहा –

लडूँ अँधेरे से

यही संकल्प

-0-

5-रेखा रोहतगी

1

मन-कुटिया

विरह का अँधेरा

प्रतीक्षा -दिया

2

दीवे का पाखी

बाती की चोंच डुबो

पीता अँधेरा ।

3

करे संघर्ष

हवा से नन्हा दीया

फैलाए हर्ष

4

तम हटाती

हिय को हुलसाती

दीवाली आती

-0-

6-सुभाष लखेड़ा

1

जलाएँ दीये

अज्ञान जो मिटायें

सबके लिए।

2

रोशनी मिले

दिवाली को उन्हें

चाहिए जिन्हें।

3

छोटा- सा दीया

भगाए अँधियारा

हँसते हुए।

4

चेहरे खिलें

दीप से दीप जलें

जब भी कहीं।

-0-

7-कृष्णा वर्मा

1

 दीप वर्तिका

तिल-तिल जलके

बाँटे प्रकाश।

2

आज खुदाई

रोशनी में नहाई

ओढ़ के खुशी।

3

बेमोल माटी

गढ़ती है दीपक

साहस -भरा।

4

दीया औ बाती

अमा का स्याह तन

उजला बनाती।

-0-

8-तुहिना रंजन

1

दीपोत्सव सा

हम सबका रिश्ता

जगमगाए ।

-0-

9- नवनीत राय रुचिर

1

आओ मुस्काएँं

निर्बल मन सजाएँ

दीप जलाएँ ।

2

मेटे अज्ञान

जलाएँ ज्ञान -ज्योति

उजाला फैले।

3

कचरा बीन

बुझाते जठराग्नि

जले न दीप।

-0-

10-गिर्राज प्रसाद गौतम ‘कथित’

1

मुसका रहे

मुँडेर पर दीप

चाँद शर्माया।

2

दिए-सा तप

कर लो जीवन में

भागेगा तम।

3

दिए बाराती

रजनी संग तम

रचे विवाह।

4

हाथ में थाल

आसमान उतरा

जमीं पे तारे।

-0-

(जन्म-12 दिसम्बर 1993,शिक्षा-      स्नातक (अंतिम वर्ष),व्यवसाय- अध्यापन

पता- ग्रा. पो. इस्माईलपुर, अलवर (राज.) 301404

girrajp93@gmail.com

 2-2


प्रतिक्रियाएँ

  1. शुभ दीपावली :
    —————
    हम सब बोलें मीठी बोली और मनाएं दिल से दिवाली;
    हर चेहरे पर खिली हंसी हो, माथे पर चंदन की रोली।
    इसे मुबारक, उसे मुबारक, आप सभी को दिली मुबारक;
    आओ स्मरण करें गणेश का, जो सभी का संकट तारक।
    ————————–*****————————-
    शुभाकांक्षी : सुरेन्द्रा एवं सुभाष लखेड़ा

  2. आप सभी को दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।

  3. ” हिन्दी हाइकु ” परिवार के सभी सम्मानित महानुभावों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ | विशेष आभार व प्रणाम द्वय सम्पादक जी को |

  4. सभी हाइकुकारों को हार्दिक बधाई…|

  5. सुन्दर हाइकु !
    सभी रचनाकारों को दीपावली की हार्दिक बधाई!

    ~सादर
    अनिता ललित


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